श्री विचारसागर : पीताम्बर | Shri Vichar Sagar : Pitambara के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री विचारसागर है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pitambara | Pitambara की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pitambara | इस पुस्तक का कुल साइज 17.1 MB है | पुस्तक में कुल 459 पृष्ठ हैं |नीचे श्री विचारसागर का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री विचारसागर पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu
Name of the Book is : Shri Vichar Sagar | This Book is written by Pitambara | To Read and Download More Books written by Pitambara in Hindi, Please Click : Pitambara | The size of this book is 17.1 MB | This Book has 459 Pages | The Download link of the book "Shri Vichar Sagar " is given above, you can downlaod Shri Vichar Sagar from the above link for free | Shri Vichar Sagar is posted under following categories dharm, hindu |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
१ पूर्वप्रकारतें कारका ब्रह्मरूपतें ध्यान किये ज्ञानद्वारा मोक्ष होवैहै।
२ परंतु या पुरुषकी इसलोकके भोगनमैं अथवा प्रलोकके भोगनमै कामना होवे, तीव्रवैराग्य नहीं होने औ इठहैं कामनाङ्गे रोकिके वनपुत्रादिकन यागिके परमहंसगुरुके उपदेशने औंकाररूप झका ध्यान करै ताकू भोगकी कामना ज्ञान प्रतिबंध है। पार्ने ज्ञान नहीं होंगैहै। किंतु ध्यान करतेही शरीरत्यागतें अर्नतंर अन्यशरीरकी प्राप्ति होवे ॥ | (१) जो इसलोककी भोगनकी कामना रोकिकै ध्यानमैं लगा होवै तौ इसलौकमैं अत्यंतविभूतियाले पवित्रससँगीक़लमै जन्म होवैहै । वहां पूर्वकामनाकेचिंपैसारे भोग प्राप्त होवे औ-पूर्वजन्मके ध्यानके संस्कारन] फेरि विचारमैं अथवा ध्यानमैं अचि होवैई तातें ज्ञान के मोक्ष होई ॥ औ| ॥ २९६ ।। (२) ब्रह्मलोकके भोगनकी कामना रोकिके ओंकाररूप अमके ध्यानमैं
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