जहाँ चाह वहाँ राह हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Jahan Chaah Wahaan Raah Hindi Book Free PDF Download

जहाँ चाह वहाँ राह : अरविन्द | Jahan Chaah Wahaan Raah : Arvind

जहाँ चाह वहाँ राह : अरविन्द | Jahan Chaah Wahaan Raah : Arvind

जहाँ चाह वहाँ राह : अरविन्द | Jahan Chaah Wahaan Raah : Arvind के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जहाँ चाह वहाँ राह है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 43 MB है | पुस्तक में कुल 199 पृष्ठ हैं |नीचे जहाँ चाह वहाँ राह का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जहाँ चाह वहाँ राह पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, inspirational, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Jahan Chaah Wahaan Raah | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : | The size of this book is 43 MB | This Book has 199 Pages | The Download link of the book "Jahan Chaah Wahaan Raah" is given above, you can downlaod Jahan Chaah Wahaan Raah from the above link for free | Jahan Chaah Wahaan Raah is posted under following categories children, inspirational, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , ,
पुस्तक का साइज : 43 MB
कुल पृष्ठ : 199

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

तीन झूठ और हर झूठ में
चालीस गप्पें
बहुत दिन हुए एक बादशाह था। उसकी बेटी शादी के लायक हो गयी थी। बहुत-से देशों के बादशाहों और खान के बेटे उसके साथ शादी करने के इरादे से आये, पर शाहजादी बड़ी तुनुकमिजाज थी और वह किसी से शादी करने के लिए तैयार नहीं हुई। | एक बार बादशाह ने अपनी बेटी को बुलाया और बोला :
"ऐ मेरी आंखो का तारा ! सारे बादशाहों से मैंने कह रखा
है कि मैं तेरे लिए दूल्हा दे रहा है, एक से एक बहादुर नौजवान आ रहे हैं, पर तु रायको मना कर रही है। आखिर इसकी वजह क्या है?"
" पिता जी !" बेटी ने जवाब दिया “मैं शादी उसी के साथ करेंगी, जो मुझे तीन झड़ गढ़का मुनाये और हर झूठ में चालीस गप्पें हों, बशर्ते उन्हें यह दिलचस्प होग से सुना सके।"
बादशाह ने चारों ओर मुनादी करवाने का हुक्म दिया।
"ओ कोई तीन झूठ गढ़ेगा और हर झूठ में चालीस गप्पें सुनायेगा , उसी के साथ में अपनी बेटी की शादी कर दूंगा।"
लोग चारों ओर में शाहजादी के साथ शादी की तमन्ना लिये आने लगे और गप्पे गहने लगे। बादशाह ने देश के सारे विद्वानों को इकट्ठा करके उनसे कहा :
* अगर कोई तीन फुट सुनाये और हर झड़ में चालीस गप्पें हों और वह बिल्कुल सफेद झूठ हो तो कहिये कि यह झूठ है, अगर सच हो, तो कहिये सच है। अगर आप ने सच को झूठ बताया, तो आपके सिर कटवा देंगा और आपकी जायदाद सुटबा दूंगा।" | हर नौजवान अपनी-अपनी गप्पे सुनाने लगा। हर बार, जब भी बादशाह ने विद्वानों से पूछा।
" यह सच है या झूठ?" " ऐसा तो होता रहता है।" उसे जवाब मिला।

Share this page:

4 Comments

  1. Is this book written by Arvind Gupta? As, I remember it was published by Pragati Prakashan, Soviet Union and these are original folk tales of Uzbekistan.

  2. पर तु “रायको” मना कर रही है
    जो मुझे तीन “झड़ गढ़का मुनाये”
    अगर कोई तीन “फुट सुनाये” और हर “झड़” में चालीस गप्पें हों
    तो आपके सिर कटवा देंगा और आपकी जायदाद “सुटबा” दूंगा।

    wrong translation is mentioned under inverted comma..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *