यूनेस्को की विज्ञान स्रोत पुस्तक : जोस एल्स्टगीस्ट | Unesco Ki Vigyan Sandarbh Pustak : Jos Elstgeest के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : यूनेस्को की विज्ञान स्रोत पुस्तक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Arvind Gupta | इस पुस्तक का कुल साइज 6.1 MB है | पुस्तक में कुल 134 पृष्ठ हैं |नीचे यूनेस्को की विज्ञान स्रोत पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | यूनेस्को की विज्ञान स्रोत पुस्तक पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, education, Knowledge, science
Name of the Book is : Unesco Ki Vigyan Sandarbh Pustak | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : Arvind Gupta | The size of this book is 6.1 MB | This Book has 134 Pages | The Download link of the book "Unesco Ki Vigyan Sandarbh Pustak" is given above, you can downlaod Unesco Ki Vigyan Sandarbh Pustak from the above link for free | Unesco Ki Vigyan Sandarbh Pustak is posted under following categories children, education, Knowledge, science |
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तकनीकों और कुछ परिकल्पनाओं का परीक्षण करना शामिल है। इस अध्याय में बयों के साथ गतिविधियों के आयोजन पर भी सुझाव दिया गया है।
अध्याय 3 में, अध्याय 2 में सुझाई गई गतिविधियों पर चर्चा की गई है। इनमें वणों या शिक्षकों ने क्या किया और इसका कौन-सा पक्ष विज्ञान के अध्ययन के लिए उपयोगी हो सकता है, इस बात पर चा है। इन गतिविधियों में वैज्ञानिक तत्त्व को पहचानने और यह निर्णय लेने के लिए एक पांच सूची दी गई है कि प्रायोगिक अध्ययन में सुधार के लिए इन अवसरों को कैसे उपयोग किया जा सकता
अध्याय 4 में, गतिविधियों द्वारा क्रिया-कौशलों के विकास के अर्थ को समझाया गया है जिन्हें प्रोसेस-सा का नाम दिया गया है। इसमें चर्चा के दौरान क्रिया-कौशल और वैज्ञानिक प्रवृत्ति प्राप्त करने के संकेत दिए गए हैं।
अध्याय 5 क्रिया कोशत और वैज्ञानिक प्रवृत्ति के विकास के महत्व पर केंद्रित है। इसमें किया यीशस के विकास की सामान्य प्रकृति को समझाया गया है। अंत में कुछ सुझाव हैं जो बसे हैं कि भ F कया-कौशलों के विकास में शिक्षकगण किस प्रकार सहायता का शो है।
अयाय की सामग्री पुनः अध्याय । से संबधित है। इसमें बच्चों के आरिमक विचारों और सीखों के साथ-साथ उनमें आए परिवर्तन के बारे में चर्चा है। वत्यों के विचारों की प्रगति तथा उसकी प्रकृति, और इस प्रगति की दिशा में वस्यों के विचारों के विकास में सहायक नीतियों का सामान्य वर्णन है।
| अध्याय १ भाषा, और विज्ञान में रिपोर्टिग से संबंधित है। वैसे तो बच्चों के विचारों के विकास में उनके बीच होने वाली चर्चा का महत्व ही पुस्तक का केंद्रीय विषय है, परंतु यहां उसे गहराई से समझा गया है। छात्र और शिक्षक के बीच हुई बातचीत को लिख कर भाषा और विचारों के संबंध को एक सुस्पष्ट रूप दिया गया है। विज्ञान की शब्दावली को कब और कैसे प्रस्तुत किया जाए इस समस्या पर प्रकाश डाला गया है। बच्चे विज्ञान के शब्दों का क्या अर्थ निकालते हैं उसे समझने का तरीका बताया गया है। ययों को अपनी सोच और खोजों को लिखने के लिए कैसे प्रेरित किया जाए इस बिंदु पर भी चर्चा की
सटीक प्रायोगिक अध्ययन करना है तो परीक्षण, परीक्षा और अन्य औपचारिक मू-यांकन को इस अध्ययन के अनुरूप ही होना चाहिए। इसमें ऐसे लिखित प्रश्नों के उदाहरण दिए गए हैं जो थप्यों की रटने की क्षमता की बजाय उनकी समझदारी और कौशलों का मूल्यांकन करते हैं। इस प्रकार के प्रश्नों को रखने के सुझाव भी यहां दिए गए हैं। | अध्याय 11 में सभी छात्रों के लिए विज्ञान अध्ययन के सुअवसरों के मूल्यांकन पर विस्तृत चर्चा है। उदाहरण के लिए यहां जांच सूचियां दी गई हैं जिनका उपयोग कि इस बात का मूल्यांकन करने के लिए कर सकते हैं कि वे प्रायोगिक ज्ञान के कैसे अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। वे यह भी देख सकते हैं कि छात्र उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए सुअवसरों का कितना लाभ उठा रहे हैं। यहां भिन्न जातीय
और भाषायी पृष्ठभूमि से आने वाले साथ ही अध्ययन में अन्य तरह की टिनाइयां महसूस करने वाले छात्र-छात्राओं दोनों को सही अवसर प्रदान करने पर विशेष ध्यान रखा गया है।
पुस्तक के भाग दो में कक्षा के अंदर होने वाली गतिविधियों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिनका उपयोग शिक्षक द्वारा अपने प्रशिक्षण के दौरान, और बच्चों के साथ, दोनों ही स्थितियों में, किया जा सकता है। अपने प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों या प्रशिक्षु-शिक्षकों को स्वयं अपने स्तर से कुछ वैज्ञानिक गतिविधियों को उसी विधि से संपन्न करना होगा जैसा कि अंततः धयों के साथ करने की अपेक्षा उनसे की जाती है। अध्ययन की यह प्रायोगिक विधि एक मात्र जरिया है जिससे शिक्षक या अन्य कोई व्यक्ति विज्ञान की वास्तविकता समझ पाएगा। गतिविधियों के दौरान ही. विज्ञान अध्ययन का उत्साहवर्धक वातावरण बनेगा जो शिक्षकों के लिए है तो अनिवार्य, पर गिने-चुने शिक्षकों को ही अपनी पढ़ाई के दौरान मिलता है।
अध्याय 13 में कक्षा में होने वाली गतिविधियों का एक सामान्य परिचय दिया गया है। ये उदाहरण मात्र हैं और इन्हें किसी विषय पर संपूर्ण कार्यक्रम ने समझे। ये ठोस उदाहरण, वर्कशीट्स की अच्छाइयाँ और बुराइयों पर चर्चा करने के लिए उपयुक्त हैं। परंतु यह सुझाव भी दिया जाता है कि शिक्षकों को स्वयं गतिविधियां कर, उनकी वर्कशीट्स बनानी चाहिए और फिर उनका मूल्यांकन करना चाहिए।
अध्याय 14 से 17 तक प्रत्येक की शैली लगभग एक समान है। इनमें शुरू में एक संक्षिप्त भूमिका है और उसके बाद के पृष्ठों पर सुस्पष्ट गतिविधियां दी गई हैं जो बच्चों को खोजबीन और प्रश्न पूछने के लिए लुभाती हैं।
| अध्याय 8 बच्चों के प्रश्नों से संबंधित है। विज्ञान में सभी प्रकार के प्रश्न पूछना और उन पर विशेष चर्चा करना महत्वपूर्ण है। कार्यशाला की गतिविधियों में एक ओर प्रश्नों का वर्गीकरण, तो दूसरी ओर उन प्रश्नों का अन्वेषण है जो बच्चों को संबद्ध परीक्षण और अपने किया कोशल के उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर सकें।
| अध्याय १ में विज्ञान के अध्ययन में कक्षा के बाहर के परिवेश की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है। इसमें एक बाहरी ‘अवलोकन यात्रा' की परिकल्पना तथा किसी भी स्कूल के मैदान में इस मार्ग के निर्माण हेतु दिशा-निर्देश दिया गया है। प्राकृतिक परिवेश में वैज्ञानिक अध्ययन करने के सुझाव हैं जिन्हें अध्याय 15 में दो गई सामग्री से जोड़ा जा सकता है। | अध्याय 10 बच्चों की सीरा के मूल्यांकन पर दो में से पा अपाय है। इसमें विभिन्न उद्देश्य हेतु विभिन्न विधियों के मूल्यांकन के सिद्धांतों पर एक संक्षिप्त भूमिका है। अध्यापन के दौरान ही "याकन हो, यह महत्वपूर्ण है। कक्षा की सामान्य गतिविधियों के दौरान हीं, बच्चों की मान्यताओं, कीशों और दृष्टिकोणों का मूल्यांकन करने के अनेकों तरीके सुझाए गए हैं। मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए गतिविधियों के आयोजन के महत्व पर बल दिया गया है।
अध्याय ।। वैज्ञानिक परिकल्पनाओं और कौशलों के औपचारिक मूल्यांकन से समझ है। अगर