कामवासना : राजीव कुलश्रेष्ठ | Kamvasna : Rajiv Kulshrestha |

कामवासना : राजीव कुलश्रेष्ठ | Kamvasna :  Rajiv Kulshrestha |

कामवासना : राजीव कुलश्रेष्ठ | Kamvasna : Rajiv Kulshrestha | के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कामवासना है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajiv Kulshreshtha | Rajiv Kulshreshtha की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 716 KB है | पुस्तक में कुल 114 पृष्ठ हैं |नीचे कामवासना का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कामवासना पुस्तक की श्रेणियां हैं : vayask

Name of the Book is : Kamvasna | This Book is written by Rajiv Kulshreshtha | To Read and Download More Books written by Rajiv Kulshreshtha in Hindi, Please Click : | The size of this book is 716 KB | This Book has 114 Pages | The Download link of the book "Kamvasna" is given above, you can downlaod Kamvasna from the above link for free | Kamvasna is posted under following categories vayask |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 716 KB
कुल पृष्ठ : 114

यह पुस्तक लेखक द्वारा मुफ्त उपलब्ध नहीं कराइ गयी है | अतः आप इसे अमेज़न पर पढ़ या डाउनलोड कर सकते हैं | धन्यवाद


यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

ये दीपक ? नितिन हैरानी से बोला - ये दीपक आप यहाँ क्यों .मतलब ? - मेरा नाम मनोज है | लड़के ने एक निगाह दीपक पर डाली - मनोज पालीवाल । ये दीपक क्यों ? दरअसल मुझे खुद पता नहीं । ये दीपक क्यों ? इस पीपल के नीचे ये दीपक जलाने से क्या हो सकता है । मेरी समझ के बाहर है। लेकिन फिर भी जलाता हूँ। -पर कोई तो वजह .वजह ? नितिन हिचकता हुआ सा बोला - जब आप ही.आप ही तो जलाते हैं । -बड़े भाई ! वह गहरी सांस लेकर बोला - मुझे एक बात बताओ । घडे में ऊँट घुस सकता है। नहीं ना । मगर कहावत है। जब अपना ऊँट खो जाता है। तो वह घड़े में भी खोजा जाता है । शायद इसका मतलब यही है कि समस्या का जब कोई हल नजर नहीं आता । तव हम वह काम भी करते हैं । जो देखने सुनने में हास्यास्पद लगते हैं। जिनका कोई सुर ताल ही नहीं होता । उसने बड़े अजीव भाव से एक उपेक्षित निगाह दीपक पर डाली। और यूँ ही चुपचाप सूने मैदानी रास्ते को देखने लगा। उस बूड़े पुराने पीपल के पतों की अजीव सी रहस्यमय सरसराहट उन्हें सुनाई दे रही थी। अंधेरा फ़ैल चुका था । वे दोनों एक दूसरे को साये की तरह देख पा रहे थे । मरघट के पास का मैदान । उसके पास प्रेत स्थान युक्त ये पीपल । और ये तन्त्र दीप । नितिन के रॉगटे खड़े होने लगे । उसके बदन में एक तेज झुरझुरी सी दौड गयी । उसकी समस्त इन्द्रियाँ सजग हो उठी । वह मनोज के पीछे भासित उस आकृति को देखने लगा । जो उस कालिमा में काली छाया सी ही उसके पीछे खड़ी थी । और मानों उस तन्त्र दीप का उपहास उडा रही हो ।

Share this page:

34 Comments

  1. Meri ek request hai ke nay Hindi novels writers k books ? ko bhi tabbazo d to aapki bahot aabhari rahungi. Gud job from u thanks .

  2. Sir mai ankअंक विद्या रहस्य (बुक ऑफ नम्बर्स ) – अंक ज्योतिष की पुस्तक हिंदी पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड मुफ्त | Ank Vidhya Rahasya Jyotish Book Hindiमुफ्त हिंदी पुस्तकें nhi downlode kr paa rha hu sir please help kre…..

  3. डाउनलोड नही हो रहा है. केवल लज्जा को डाउनलोड कर पाया हूँ. बाकि में एरर बताता है.

  4. Hindi ke liye bahut hi sarahneey kam hain.

    Kya app SHIVANI aur Gulshan Nanda ke koi upnyas publish kar sakte hain..?

  5. कामवासना (राजीव कुलश्रेष्ठ) की संसोधित कापी के लिये मुझे मेल करना ।
    size 1 mb

  6. बहुत अच्छा कार्य है लोगों तक मुफ्त में पुस्तकें पहुँचाना | यह पुस्तक व साथ ही अन्य ढेर सारी पुस्तकें डाउनलोड करने के लिये यहां जाएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *