स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास : गोवार्धनलाल पुरोहित | Swatantrata Sangram Ka Itihas : Govardhanlal Purohit के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : govardhanlal purohit | govardhanlal purohit की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : govardhanlal purohit | इस पुस्तक का कुल साइज 17 MB है | पुस्तक में कुल 444 पृष्ठ हैं |नीचे स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, india
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आशा की किरण देखने लगे, परन्तु चोरी चोरी की घटना के बाद असहयोग आन्दोलन थगित कर दिया गया हो रणभाको क्रान्तिकारियों ने अपने शव संभाल लिये। अपि में संख्या में कम थे, परन्तु अपने पराक्रम से उन्होंने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया। अपने प्रिय नेता लालाजी की पिटाई के लिए उत्तरदायी सान्डर्स की हत्या करके उन्होंने दिखा दिया कि भारतीय पौरस अभी मरा नहीं है। यदि शान्तिपूर्ण स्वतन्त्रता
आन्दोलन को कुचला गया तो देश के युवक ईंट का जवाब पत्थर से देने को तैयार हैं। इससे सम्बन्धित भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव तथा वटगाँव सशस्त्र विद्रोह की शर्यपूर्ण गाथाओं को पुस्तक में विशेष स्थान दिया गया है। | पूज्य बापू ने विदेशी शासन को अपने आपको सुधारने व उसे आत्म निरीक्षण का मुरा अवसर दिया, परन्तु विदेशी शासन सामान्य मूलभूत समस्याओं पर विचार करने के लिए भी तैयार नहीं हुआ तो बापू ने सन् 1930 का महान सविनय अवज्ञा आन्दोलन दाण्डौ मार्च से शुरू कर दिया। इस आन्दोलन से देश में अद्भुत जन-जागरण हुआ। देश का कोना-कोना सत्याग्रह में शामिल हुआ। महिलाओं को जागृत्ति इस आन्दोलन की