मधुशाला : हरिवंश राय बच्चन | Madhushala : Mr. H.R. Bachchan Harivansh Ray Bacchan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मधुशाला है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Harivansh Ray Bacchan | Harivansh Ray Bacchan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Harivansh Ray Bacchan | इस पुस्तक का कुल साइज 112.7 KB है | पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं |नीचे मधुशाला का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मधुशाला पुस्तक की श्रेणियां हैं : others, Poetry
Name of the Book is : Madhushala | This Book is written by Harivansh Ray Bacchan | To Read and Download More Books written by Harivansh Ray Bacchan in Hindi, Please Click : Harivansh Ray Bacchan | The size of this book is 112.7 KB | This Book has 33 Pages | The Download link of the book "Madhushala" is given above, you can downlaod Madhushala from the above link for free | Madhushala is posted under following categories others, Poetry |
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कहीं गया, वह स्वगिक साकी, कहा गया स्वर्णिम याला 1 मृत्य, हाय, तव पहचाना! फुट चुका जव मधु का घ्याला, टूट चुकी जव मधुशाला | | 124 | |
अपने युग में सवको अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला, अपने युग में सवको अदभुत ज्ञात हुआ अपना प्याला, फिर भी वृद्धों से जब पूछा एक यही उत्तर पाया अव न रहे वे पीनेवाले, अव न रही वह मधुशाला | 1125 | | 'मय को करके शुद्ध दिया अव नाम गया उसको, हाला। 'मीना' की 'मधुपात्र दिया 'सागर' को नाम दिया "प्याला', क्यो न मौलवी वीक, विचक तिलकत्रिपुडी पडत जी 'मयमहफिल अव अपना ली है मैंने करके मधुशाला | | 120 | | कितने मर्म जता जाती है कितने भेद बता जाता है,