अपने को समझे : आचार्य नानेश | Apne Ko Samjhe : Achariya Nanesh

अपने को समझे : आचार्य नानेश | Apne Ko Samjhe :  Achariya Nanesh

अपने को समझे : आचार्य नानेश | Apne Ko Samjhe : Achariya Nanesh के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अपने को समझे है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Nanesh | Acharya Nanesh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2.4 MB है | पुस्तक में कुल 178 पृष्ठ हैं |नीचे अपने को समझे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अपने को समझे पुस्तक की श्रेणियां हैं : manovigyan, others

Name of the Book is : Apne Ko Samjhe | This Book is written by Acharya Nanesh | To Read and Download More Books written by Acharya Nanesh in Hindi, Please Click : | The size of this book is 2.4 MB | This Book has 178 Pages | The Download link of the book "Apne Ko Samjhe" is given above, you can downlaod Apne Ko Samjhe from the above link for free | Apne Ko Samjhe is posted under following categories manovigyan, others |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 2.4 MB
कुल पृष्ठ : 178

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मूलचन्द जी सा पारख (सुपुत्र श्री आसकरण जी ) हिगुणिया वाला ने अपनी सुपुत्री सुश्री सुवा कुमारी जिसकी वैराग्य भावना कई वर्षों से शा प्र कर्मठ सेवाभाविनी महासतीजी श्री
चादकवर जी मसा की प्रेरणा से चल रही थी की श्री साधुमार्गी जैन श्रावक सघ के निवेदन को बहुमान देकर पू आचार्य भगवन् के मुखारविन्द से नोखामडी मे दीक्षा सम्पन्न कराने की स्वीकृति प्रदान की। २ जुलाई १९७६ को अत्यन्त उत्साहवर्धक वातावरण में वैराग्यवती बहिन की दीक्षा अपूर्व धूमधाम से सम्पन्न हुई। विदुषी महासतीजी श्री सुदर्शना श्री जी मसा की ससारपक्षीय पूज्य माताजी श्रीमती सिरेकवर जी दृढधर्मी, आचार्य भगवन्, युवाचार्य भगवन् के शासन की समर्पित श्राविका है। इनकी प्रेरणा से ही सभी पुत्र एव पुत्रिया धर्म ध्यान, तप त्याग आदि क्रियाओ मे सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। श्रीमती सिरे कवर के बड़े ससार पक्षीय भ्राता आचार्य भगवन् के शासन को दीपाने वाले घोर तपस्वी अनेक थोकड़ो के ज्ञाता श्री मूलचन्दजी म सा हैं जिनका इस वर्ष वर्षावास बीकानेर मे है। महासती श्री सुदर्शना श्री जी म सा आचार्य भगवन् एव युवाचार्य भगवन् मे अटूट श्रद्धा सयम साधना से शासन प्रभावना मे अग्रसर हैं। आपने जहा जहा विचरण किया व कर रही हैं वहीं पर अपने सयमी जीवन व ज्ञान प्रभावना की अमिट व विशेष छाप छोड़ी है। पू आचार्य भगवन् अपने मुखारविन्द से फरमाते हैं इनको मैं जहा भी भेजता हू वहा की श्रावक श्राविकाए इनकी तारीफी के पुल बाध देते हैं। धन्य हैं इनका सयमी जीवन सादगी मय जीवन। सम्प्रति आपका वर्षावास देई (बून्दी) मे है। नोखा प्रवचनो का प्रथम भाग आपके अर्थ सहयोग से प्रकाशित कर सुधी पाठको के हाथो प्रस्तुत कर रहे हैं। पूर्ण विश्वास है कि नोखा वर्षावास मे प्रदत्त ये प्रवचन आत्मा का ऊध्वरोिहण करने मे सार्थक सिद्ध होगे क्योकि ये आत्मोत्थान की प्रेरणा से ओतप्रोत है। मानव अपने को समझे और स्वय से जुड़े यही इनका केन्द्रीय संदेश है। आचार्य भगवन् के सूत्र शब्दो को जीवन मे उतार कर भव्य प्राणी अपना उत्थान करें यही शुभकामना है। अर्थ सहयोगी पारख बन्धुओ के प्रति आभार के साथ।

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7 Comments

  1. आदरणीय महोदय,
    आपने इतनी साड़ी महान पुस्तकों का अम्बार मुफ्त में उपलब्ध कराकर हम सभी भारतवासियों पर जो अहसान किया है, वो काबिल ए तारीफ़ ही नहीं वरण परम अनुकरणीय है. आपकी पूरी टीम का बहुत बहुत धन्यवाद!
    नमस्कार सहित,
    शेखर बनर्जी

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