चार्ली की दास्ताँ : विनोद कुमार हिंदी पुस्तक | Charlie Ki Daastan : Vinod Kumar Hindi Book

चार्ली की दास्ताँ : विनोद कुमार | Charlie Ki Daastan : Vinod Kumar

चार्ली की दास्ताँ : विनोद कुमार | Charlie Ki Daastan : Vinod Kumar

चार्ली की दास्ताँ : विनोद कुमार | Charlie Ki Daastan : Vinod Kumar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : चार्ली की दास्ताँ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : vinod kumar | vinod kumar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 500 KB है | पुस्तक में कुल 32 पृष्ठ हैं |नीचे चार्ली की दास्ताँ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | चार्ली की दास्ताँ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, inspirational

Name of the Book is : Charlie Ki Daastan | This Book is written by vinod kumar | To Read and Download More Books written by vinod kumar in Hindi, Please Click : | The size of this book is 500 KB | This Book has 32 Pages | The Download link of the book "Charlie Ki Daastan" is given above, you can downlaod Charlie Ki Daastan from the above link for free | Charlie Ki Daastan is posted under following categories Biography, inspirational |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 500 KB
कुल पृष्ठ : 32

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गरिमामय बना दिया है, इतना कि मैं आपको कॉमरेड कहूं तो यह आपके लिए सबसे बड़ा सम्मान है।"
लोग इतना अभिभूत हो गए कि उन्होंने देर तक खड़े होकर तालियां बजाई।
| "मैं कोई कम्युनिस्ट नहीं हूं, मैं सिर्फ एक इंसान हूँ और मेरे ख्याल से मुझे पता है कि इंसानों के बीच क्या रिश्ता होना चाहिए। कम्युनिस्ट किसी भी दूसरे आदमी से अलग नहीं होते, भले ही वे
अपना हाथ खो दें या डांगे। उन्हें भी वैसी ही तकलीफ होती हैं जैसी हमें। वे भी हमारी तरह जीते-मरते हैं। किसी कम्युनिस्ट की मां भी वैसी होती है, जैसी हम सबकी मां। जब उसे अपने बेटे के कभी न लौटने की दुखद सूचना मिलती है, तो वह उसी तरह रोती है, जैसे कोई भी मां रोएगी। यह सब जानने के लिए मेरा कम्युनिस्ट होना जरूरी नहीं। सिर्फ इंसान हो जाने से यह सब पता चल जाता है। इस समय हजारों रूसी मांए रो रही हैं, और हजारों रूसी सपूत मर रहे

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