कुमार पालचरित्र : श्री मुर्दुल्ल्मविजयजी | Kumar Palcharitr : Shri Murduluvhvijai के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कुमार पालचरित्र है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Murduluvhvijai | Shri Murduluvhvijai की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Murduluvhvijai | इस पुस्तक का कुल साइज 5.5MB है | पुस्तक में कुल 306 पृष्ठ हैं |नीचे कुमार पालचरित्र का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कुमार पालचरित्र पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Kumar Palcharitr | This Book is written by Shri Murduluvhvijai | To Read and Download More Books written by Shri Murduluvhvijai in Hindi, Please Click : Shri Murduluvhvijai | The size of this book is 5.5MB | This Book has 306 Pages | The Download link of the book "Kumar Palcharitr" is given above, you can downlaod Kumar Palcharitr from the above link for free | Kumar Palcharitr is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
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राजाकी इच्छानुसार प्रतिदिन राजसभामें आकर धर्मोपदेश सुनाने लगे । “परोपकाराय सतां विभूतयः” सत् पुरुषोंकी विभूतियें जगत्के उपकारकेही वास्ते होती हैं । रिजीके उपदेशसे राजाकी मनोदृत्ति और नीति धर्मसे वासित होने लगी, उसने दिनके आठ विभागोंमें सर्व कार्योकों नियत समयमें करनेका दृढ विचार करलिया । प्रथमचिभागमें खर्चलायक धनका विचार (१)। दूसरे में लोगोंकी रक्षाके उपायका विचार (२)। तीसरेमें देवपूजा क रनी (३) । चौथेमें खजानेका हिसाब लेना (४)। पांचमेमें गुफिया नोंकरोंको परदेश भेजना (५)। | छठेमें सैर करने जाना (६)। सातमेमें हाथी घोडे
शख वगैरह की हिफाजत (रक्षा) करनी (७)। आठमेमें दूसरे राजाओंको वश करनेवास्ते नवी फौज तयार करनेके अनुकूल उपाय इंढने (८)। रात्रिके ९ हिस्सोंमेंसे—प्रामाणिक पुरुषोंसे बातचीत के रनी (१) शास्त्रका सर्ण करना (२) वाजका