भारत में जनसंचार का इतिहास : डॉ अमर बहादुर सिंह | Bharat Me Jansanchar Ka Itihas : Dr. Amar Bahadur Singh |

भारत में जनसंचार का इतिहास : डॉ अमर बहादुर सिंह | Bharat Me Jansanchar Ka Itihas : Dr. Amar Bahadur Singh |

भारत में जनसंचार का इतिहास : डॉ अमर बहादुर सिंह | Bharat Me Jansanchar Ka Itihas : Dr. Amar Bahadur Singh | के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भारत में जनसंचार का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Amar bahadur singh | Amar bahadur singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 57 MB है | पुस्तक में कुल 415 पृष्ठ हैं |नीचे भारत में जनसंचार का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारत में जनसंचार का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, india

Name of the Book is : Bharat Me Jansanchar Ka Itihas | This Book is written by Amar bahadur singh | To Read and Download More Books written by Amar bahadur singh in Hindi, Please Click : | The size of this book is 57 MB | This Book has 415 Pages | The Download link of the book "Bharat Me Jansanchar Ka Itihas" is given above, you can downlaod Bharat Me Jansanchar Ka Itihas from the above link for free | Bharat Me Jansanchar Ka Itihas is posted under following categories history, india |

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पुस्तक का साइज : 57 MB
कुल पृष्ठ : 415

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भूमिका
| हिन्दी भाषा वैज्ञानिकों के अनुसार "जनसंचार एक सामासिंऊ पद्ध है जो जन” और "संचार' दो शब्दों से मिलकर बना है। जन” शब्द सम्पूर्ण लोक, सर्वसाधारण
र आम आदमी का बोधक हैं और संचार पद्ध में संचरण अथवा सम्प्रेषण की प्रशिया से गुज़रा संदेश निहित होता हैं और संवार शब्द संस्कृत के “तम्” उपसर्ग के साथ "थर" धातु से बना है। "थर" धातु से संचरण का बोध होता है। सम्यक रुप से गतिशीलता के दौक इस शब्द को अंग्रेजी के कम्युनिकेशन शब्द के हिन्दी कामांतरण के रूप में ग्रहण किया गया है। स्वयं कम्युनिकेशन” आज लैटिन के कम्युनिस' या से बना है, जिसका अर्थ होता है सामान्य! अतः जनतंबार एक ऐसा सामासिक पद है जो किन्ही सूचनाओं, विरों, भाव, अनुभूतियों व आम लोगों तक संचरण कराने की क्रिया का बोधक है। यह सम्प्रेषण क्रिया किन्हीं न कि माध्यमों से होती है इसीलिए संचार प्रक्रिया के तम्यक बोध के लिए हम जनसंचार माध्यम शब्द का प्रयोग करने तर्ग है। जनसंहार के लिए जनमाध्यम अनिवार्य तत्व हैं। इसका भी अपना एक इतिहास है तष्टि की संरचना के समय से ही इस इतिहास को एक व्यवस्थित थप देने का प्रयास तेजी से हो रहा है।
सूचना विस्फोट के इस युग में जब पत्रकारिता कता से विज्ञान बन गयी है और सूचना तकनीकी के आधार पर मानव विश्व-व्यवस्था पर कब्जे तक की बात सोचने लगा में जनसंचार के क्षेत्र में अनुसंधान और गंध को गति मितना स्वाभाविक हैं। सभी मानत है जिन्नार के कता र विज्ञान के क्षेत्र में जो
दे ना अधिक सत्रन अनुसंधान और होगा वह उतना ही अधिक कितनी देर माना जाएगा। आने वाला युग इनमेशन तकनीक का युग है और प्रसन्नता की बात है कि हमारे सैनिक इस क्षेत्र में कमान स्थापित कर रहे है। किसी विषय के प्रमाक एवं क्रमबद्ध ज्ञान की हम इतिहास कहते हैं। इतिहास अतीत का आइना होता है, जिससे सबक लेकर भविष्य
मार्ग और कार्यक्रम निधारित किया जाता है। जनतंबार के इतिहास का प्रमाणिक ययन प्रस्तुत करने का जो प्रशंसनीय प्रयास डॉ0 अमर बहादुर सिंह ने किया है

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3 Comments

  1. ये पुस्तक लोड नही हो पा रही है,

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