आरोग्य मंजरी : डॉ. वेदप्रकाश शास्त्री हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड | Aarogya manjari: Dr. Vedprakash Shastri Hindi Book Free Download

आरोग्य मंजरी : डॉ. वेदप्रकाश शास्त्री | Aarogya manjari: Dr. Vedprakash Shastri

आरोग्य मंजरी : डॉ. वेदप्रकाश शास्त्री  | Aarogya manjari: Dr. Vedprakash Shastri

आरोग्य मंजरी : डॉ. वेदप्रकाश शास्त्री | Aarogya manjari: Dr. Vedprakash Shastri के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आरोग्य मंजरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Vedprakash Shastri | Dr. Vedprakash Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 78.0 MB है | पुस्तक में कुल 39 पृष्ठ हैं |नीचे आरोग्य मंजरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आरोग्य मंजरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : ayurveda, health, inspirational

Name of the Book is : Aarogya manjari | This Book is written by Dr. Vedprakash Shastri | To Read and Download More Books written by Dr. Vedprakash Shastri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 78.0 MB | This Book has 39 Pages | The Download link of the book "Aarogya manjari" is given above, you can downlaod Aarogya manjari from the above link for free | Aarogya manjari is posted under following categories ayurveda, health, inspirational |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 78.0 MB
कुल पृष्ठ : 39

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आचनिङ एलोपत्र वो का श्रेय दिया जाता है कि उसमें ही सबसे पहले रोग के कीटनाओं की खोज की गई। चिकिता में सरलता आई। वास्तव में शात इसके विपरीत है। वेद और के उपनिभूत आयुर्वेद में भी रोग के कामों का वर्णन मिलता है। इतना होते हुए भी यौन आवायों ने इन रोग कीटाणुओं के स्तान पर विशेष महत्व त्रिदोर को दिया है। इस कारण स्पष्ट है कि वे लोग इस विषय की गहराई में जितने ये हैं उतने आधुनिक नहीं। सब आते हैं-कितौ अस्तु । इन उत्पन्न होने के नात् । रोग के कीटाणु पैदा होते हैं जैसे हैजा आदि में। इसी प्रकार आयुर्वेद में भ इन्श वर्मन मिल्यता है पर दोष के पश्यात्, अतः त्रिदोष की महत्ता कप से दहेजन है। ऐलोदिक में रक्त को मम माना जा है कि आयुर्वेद में हर को क्योंकि रत से का बना है। कुल और मुख्य वल

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