आहार ही औषध है 1942 | Ahar Hi Aushadh Hai 1942

आहार ही औषध है 1942 | Ahar Hi Aushadh Hai 1942

आहार ही औषध है 1942 | Ahar Hi Aushadh Hai 1942 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आहार ही औषध है 1942 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhawani Prasad | Bhawani Prasad की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 10.46 MB है | पुस्तक में कुल 214 पृष्ठ हैं |नीचे आहार ही औषध है 1942 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आहार ही औषध है 1942 पुस्तक की श्रेणियां हैं : ayurveda, health, Knowledge

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पुस्तक का साइज : 10.46 MB
कुल पृष्ठ : 214

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इस बात का निषेध कोई भी न करेगा कि मनुष्य का संघटन ( बनावट ) उसके भोजन ( आहार ) पर निर्भर है। वस्तुतः मनुष्य अपनी भोजन की थाली पर ही बनता वा बिगड़ता है, यह बात विश्वास का कथन मात्र ही नहीं है, किन्तु कार्यरूपेण यथार्थ है। यदि मनुष्य के प्रायः प्रत्येक रोग के मूल कारण का पता लगाया जाय तो वह उसका भ्रमभरित ( मूर्खता पूर्ण ) कुत्सित भोजन ही निकलेगा और यदि सत्य का अर्थ निश्चित ज्ञान वा तयार्थ है, तो मैं अपने पाठकों को निश्चय दिलाता है कि केवल समुचित आहार से ही सारे रोग अच्छे हो सकते हैं । मनुष्य का शरीरयन्त्र स्वयमेव एक चमत्कार है । वह स्वयमेव सुव्यवस्थित हो जाने वाला स्वयमेव नियमबद्धता को प्राप्त होने वाला स्वयमेव सुधर जाने वाला तथा स्वयमेव विकसित होने वाला यन्त्र है।

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