अकबर बीरबल विनोद | Akbar Birbal Vinod

अकबर बीरबल विनोद | Akbar Birbal Vinod

अकबर बीरबल विनोद | Akbar Birbal Vinod के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अकबर बीरबल विनोद है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 33.7 MB है | पुस्तक में कुल 292 पृष्ठ हैं |नीचे अकबर बीरबल विनोद का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अकबर बीरबल विनोद पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Akbar Birbal Vinod | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 33.7 MB | This Book has 292 Pages | The Download link of the book "Akbar Birbal Vinod" is given above, you can downlaod Akbar Birbal Vinod from the above link for free | Akbar Birbal Vinod is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 33.7 MB
कुल पृष्ठ : 292

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प्राचीनकाल के राजदर्बारों में जहाँ सब प्रकार के गुणियों का आदर रहता था वहाँ 'एकाध ऐसे भी हास्यरसकुशल कुशाग्रबुद्धि पुरुषरत्नों का प्रवेश रहता था जो समय समय पर विलक्षण बुद्धि एवं वचनचातुरी से राजाओं को मोह लेते थे और अपनी वचनचातुरी से स्वामी को वश में कर लेते थे। राजा बीरबल और बादशाह अकबर का ऐसा ही सम्बन्ध रहा है। अकबर के दरबार में वा यो कहिये कि अकबरी राजसभा के नौरत्नों में बीरबल कोहनूर हीरा थे। लड़कपन से ही बीरबल अकबर के साथ थे और दोनों में ऐसा हँसी मजाक हुआ करता था जैसा दो लंगोटिये यारों में होता है । बीरबल जी केवल हँसोड़ थे सो नहीं वे अच्छे शूर, सामन्त, कवि, पण्डित और सभाचातुर वीरनर थे। बीरबल दानी भी बड़े थे और हाजिरजवाबी में तो अपना सानी नहीं रखते थे। बादशाह अकबर बीरबल को प्राणों से भी अधिक प्रिय मानते थे और क्षण भर भी पृथक रहना नहीं चाहते थे। इसमें किंचितमात्र सन्देह नहीं कि अकबर बीरबल के मजाक बड़े मौके मार्के के और गुदगुदाने वाले होते थे।

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