आमिर खुसरो : राजनारायण राय | Amir Khusro : Rajnarayan Ray के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आमिर खुसरो है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajnarayan Rai | Rajnarayan Rai की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Rajnarayan Rai | इस पुस्तक का कुल साइज 11.3 MB है | पुस्तक में कुल 171 पृष्ठ हैं |नीचे आमिर खुसरो का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आमिर खुसरो पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography
Name of the Book is : Amir Khusro | This Book is written by Rajnarayan Rai | To Read and Download More Books written by Rajnarayan Rai in Hindi, Please Click : Rajnarayan Rai | The size of this book is 11.3 MB | This Book has 171 Pages | The Download link of the book "Amir Khusro" is given above, you can downlaod Amir Khusro from the above link for free | Amir Khusro is posted under following categories Biography |
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संपादकीय
| अमीर घसरों फारसी के सर्वक्षेष्ठ शायर, महान संगीत तथा हिदीं और बई के आदि वि माने जाते हैं तथापि उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का मूल्यांकन जितना अपेक्षित है जराना नहीं हुआ । अंग्रेजो में प्रो. महम्मद , . हौद मिर्जा और मैयद गुलाम समनानी आदि में प्रयत्न किए जिनमें इ. मिर्जा या ' लाइफ एंड पम्स ऑफ अमीर खुसरो ' शोध-प्रबंध सर्वोत्कृष्ट है। इनके अतिरिक्त बदा-कदा पत्र-पत्रिकाओं में भी अनेकानेक शोधनिबंध प्रकाशित हुए जो काफी महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसे fuu-लेखकों में श्री देवोसिंग चौहान, प्रो. मग अमरी, सबाहू उद्दीन अब्दुर रहमान शिवलीं, डॉ. निजामन गोरेकर आदि प्रम । अमीर खुसरो के काव्य-वैभव को देखते हुए ये कोशिशें बहुत ही कम मासूम पड़ती हैं।
हिंदी में भी कोई ठोस कार्य नहीं हुआ यद्यपि श्री अजगरनदास की पुस्तिका इसरो की हिंदी कविता ' और श्रीराम शर्मा सुम्पादित 'बालिक नारी इन दिशा में उपयोगी साबित हुई । इनके साथ ही महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा द्वारा प्रकाशित 'राष्ट्रवाणी' का 'अमर अगरी विशेषांक, मार्च-जून-२' भी जरुलेध है क्याकि उसके माध्यम से हुदी पत्रिका में पहली बार अमीर असरों को सममने-समझाने का प्रयत्न किया । फिर भी यह शिकायत बनी रह जाती है कि हिंदी के अदि कवि होने के बावजूद भी खुसरो की काव्य-संपदा का अध्ययन मूल्यांकन हिंदी में ही उपेक्षित रहा। कारण चाहे जो कुछ भी रहा हों पर यह च जन्मीलन तय है। प्रस्तुत निबंध-शृंग्रह एतद्विषयक कमी को दूर करने का एक प्रयास है। | महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल को यावर जंग ने इस अंग की भमिका निषकर जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए मैं साभारी हैं। जिन हितैषी विद्वानों एवं सभा के अधिकारियों से इस पुस्तक के निर्माण तथा प्रकाशन में सहयोग प्रेरणा और बल मिला है उनके प्रति संपादक कृतज्ञ है।
विश्वास है, यह लघु-प्रवल पाठकों को परितोष देगा।
राजनारायण राप