आनन्दलहरी | Anandlahari के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आनन्दलहरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Shayama Nand Nath | Shri Shayama Nand Nath की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Shayama Nand Nath | इस पुस्तक का कुल साइज 15.5 MB है | पुस्तक में कुल 54 पृष्ठ हैं |नीचे आनन्दलहरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आनन्दलहरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Anandlahari | This Book is written by Shri Shayama Nand Nath | To Read and Download More Books written by Shri Shayama Nand Nath in Hindi, Please Click : Shri Shayama Nand Nath | The size of this book is 15.5 MB | This Book has 54 Pages | The Download link of the book "Anandlahari " is given above, you can downlaod Anandlahari from the above link for free | Anandlahari is posted under following categories dharm |
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दूसरा भाव यह भी है कि तुम अन्य रूपों में भाविता होने से उस प्रकार के भावुकों अर्थात् मननकर्ताअों को वास्तविक वर वा ‘मुक्ति न देकर उनकी तुच्छ लौकिक कामनाओं की पूर्ति कर और वास्तविक शत्र वा ‘अविद्या से उनकी रक्षा न करके गोचर तुच्छ आधि-भौतिक और आधि-दैविक आपदाओं से उन्हें बचा कर लीला करती हो अर्थात् उन्हें फुसला देती हो। परन्तु अपने इस मोक्ष और भोगदायक रूप के उपासकों की तुम तीनों तापों से रक्षा करती हो और ऐहिक तथा परमानन्द दोनों देती हो । यहाँ यह स्मरण रखना आवश्यक है |