अंगराज | Angraj के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : अंगराज है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Anand Kumar | Anand Kumar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Anand Kumar | इस पुस्तक का कुल साइज 17 MB है | पुस्तक में कुल 353 पृष्ठ हैं |नीचे अंगराज का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अंगराज पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Angraj | This Book is written by Anand Kumar | To Read and Download More Books written by Anand Kumar in Hindi, Please Click : Anand Kumar | The size of this book is 17 MB | This Book has 353 Pages | The Download link of the book " Angraj " is given above, you can downlaod Angraj from the above link for free | Angraj is posted under following categories Poetry |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
यह छोटा-सा वीरगीत उस युग का स्मरण दिलाता है जब जोग अपनी तथा देश-जाति-कुल-धर्म की मान-मर्यादा की रचा के लिए हँसते-हँसते मरमिटने में जीवन की सार्थकता समझते थे । इम उन स्वास्माभिमानी वीर पुरुषों का ध्यान करते हैं जो विषम परिस्थितियों में अपना सिर दे देते थे, लेकिन सार नहीं देते थे। हमारे सामने बलिदानों से पोषित हिन्दूजाति अपने भव्य रूप में आकर खड़ी हो जाती है। उपरोक्त दोहे को पढ़ते समय मुझे तो ऐसा लगता है मानो प्राचीन कर्मभूमि अपने मानव-समाज से हुर्षोंत्साह का कारण पूछती है और उसे उत्तर मिलता है कि देश के सपूत कर्त्तव्य की वेदी पर जीवनोत्सर्ग के लिये सन्नद्ध हो गये हैं, उनके पीछे सारी वीर-जाति मर-मिटने को तैयार हो गई है। हम उन बीजों का महत्व मानते हैं जो-मिट्टी में मिलकर भी अपना सत्व या स्वत्व नहीं खोते, अपने को मिटाकर भी कालान्तर में अपना प्रभाव दिखाते हैं, अपनी ही जाति के सहस्रों बीज उत्पन्न करने में समर्थ होते हैं जिनके आकार के साथ प्रकार नहीं नष्ट होता।