आर्यसमाज का इतिहास भाग-1 | Aaryasamaj Ka Itihas Bhag-1 के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आर्यसमाज का इतिहास भाग-1 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Shraddhanand | Swami Shraddhanand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Swami Shraddhanand | इस पुस्तक का कुल साइज 22.65 MB है | पुस्तक में कुल 268 पृष्ठ हैं |नीचे आर्यसमाज का इतिहास भाग-1 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आर्यसमाज का इतिहास भाग-1 पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
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बहुत से सज़नों के अनुरोध से मैंने यह निश्चय कर लिया है कि आर्यसमाज का इतिहास तय्यार कर देना मेरा पहला कर्तव्य है । पूरी आधी शताब्दी बीत गई जब कि सं• १९२४ वि० के कुम्भ पर हरिद्वार में सर्वमेध पज्ञ कर और केवल कौपीन मात्र धारण किए ऋषि ने गंगा के किनारे २ धनते हुए वेदों का पवित्र सन्देश सुनाना प्रारम्भ किया था । बम्बई में सबसे पहले समाज को स्थापित हुए भी ४२ वर्ष व्यतीत होगए हैं । आर्यसमाज के वृद्ध अनुभवी सेवक प्रारी: इस संसार को छोड़ रहे हैं, जो शेष हैं उनमें भी चलाचली का चक्र चल रहा है अतएव इतने बड़े गम्भीर काम के योग्य न होते हुए भी मैंने यह साहस किया है, जिसकी कृतकार्यता सर्वसाधारण की सहायता पर निर्भर है।