बाँकीदासरी ख्यात | Bankidasri Khyat

बाँकीदासरी ख्यात | Bankidasri Khyat

बाँकीदासरी ख्यात | Bankidasri Khyat के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : बाँकीदासरी ख्यात है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Achary Jinvijay Muni | Achary Jinvijay Muni की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 7.28 MB है | पुस्तक में कुल 232 पृष्ठ हैं |नीचे बाँकीदासरी ख्यात का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बाँकीदासरी ख्यात पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : Bankidasri Khyat | This Book is written by Achary Jinvijay Muni | To Read and Download More Books written by Achary Jinvijay Muni in Hindi, Please Click : | The size of this book is 7.28 MB | This Book has 232 Pages | The Download link of the book "Bankidasri Khyat" is given above, you can downlaod Bankidasri Khyat from the above link for free | Bankidasri Khyat is posted under following categories history |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 7.28 MB
कुल पृष्ठ : 232

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भारण-कवि का हमारे इतिहाग में विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। इन कवियों ने अपनी भोनगई माणी से सदा ही हमारा मार्ग प्रदशन निया है। यार में हुजा कुल ग़ाहित्यकार हो गये हैं निहोर्न भिन्न भिन्न विषयों पर चना की है भार प्रसार मुरगत राणा , मध्यभारत और गुजरात में हुआ है और देश में बार-शाहिदम भी विशेष उपलव्य होता है। अपनी नाट्य प्रतिभा और उग्रवन चरित्र से वारण इमारी जनता में याइग्णय रहे हैं और मय-गरम वर देदा सेवा में भी अद्भू उदाहरण प्रस्तुा करते रहे है । भाकवि दुसा पड़ा, ईसरदा दाङ, बाकीदारा, भुरादान, महाकवि सुर्वमन, विराज श्यामदास और केसरीसिंह बार घादि हमारे देश के प्रमुख चार साहित्यकार माने जते हैं।

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