भारतीय मूर्ति कला | Bharteeya Moorti Kala के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारतीय मूर्ति कला है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rai Krishnadas | Rai Krishnadas की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Rai Krishnadas | इस पुस्तक का कुल साइज 13.06 MB है | पुस्तक में कुल 198 पृष्ठ हैं |नीचे भारतीय मूर्ति कला का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारतीय मूर्ति कला पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Bharteeya Moorti Kala | This Book is written by Rai Krishnadas | To Read and Download More Books written by Rai Krishnadas in Hindi, Please Click : Rai Krishnadas | The size of this book is 13.06 MB | This Book has 198 Pages | The Download link of the book "Bharteeya Moorti Kala" is given above, you can downlaod Bharteeya Moorti Kala from the above link for free | Bharteeya Moorti Kala is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |
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भारत में, जहाँ के अधिकांश निवासी मूर्ति-पूजक हैं, यह बताने की विशेष आवश्यकता नहीं कि मूर्ति क्या है। सोना, चाँदी, ताँबा, काँसा, पीतल, अष्टधातु आदि सभी प्राकृतिक तथा कृत्रिम धातु, पारे के मिश्रण, रत्न, उपरत्न, काँच, कड़े और मुलायम पत्थर, मसाले, कच्ची वा पकाई मिट्टी, मोम, लाख, गंधक, हाथीदाँत, शंख, सीप, अस्थि, सींग, लकड़ी एवं कागद के कुट आदि उपादानों के उनके स्वभाव के अनुसार-गढ़कर, खोदकर, उभारकर, कोरकर, पीटकर, हाथ से व औजार से डौलियाकर, ठप्पा करके व साँचा छापके उत्पन्न की हुई आकृति का मूर्ति कहते हैं। किन्तु आज मूर्ति का अर्थ हमारे यहाँ इतना संकुचित हो गया है कि हम उसे एकमात्र पूजा की वस्तु मान बैठे हैं, सो भी यहाँ तक कि उसकी पूजा करते हैं