भ्रमर गीत का काव्य वैभव | Bhramar Geet Ka Kavya Vaibhav के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भ्रमर गीत का काव्य वैभव है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr Manmohan Gautam | Dr Manmohan Gautam की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr Manmohan Gautam | इस पुस्तक का कुल साइज 9.8 MB है | पुस्तक में कुल 220 पृष्ठ हैं |नीचे भ्रमर गीत का काव्य वैभव का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भ्रमर गीत का काव्य वैभव पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Bhramar Geet Ka Kavya Vaibhav | This Book is written by Dr Manmohan Gautam | To Read and Download More Books written by Dr Manmohan Gautam in Hindi, Please Click : Dr Manmohan Gautam | The size of this book is 9.8 MB | This Book has 220 Pages | The Download link of the book "Bhramar Geet Ka Kavya Vaibhav" is given above, you can downlaod Bhramar Geet Ka Kavya Vaibhav from the above link for free | Bhramar Geet Ka Kavya Vaibhav is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
सूरदास जी का भ्रमरगीत उनकी कोई स्वतत्र रचना न होकर सूरसागर का एक अ श मात्र है । सूरदास जी ने जिन कृष्ण-लीलाओ के क्रम में अपने पदो की रचना की थी, उन लीलाओं में भी भ्रमरगीत को कोई स्थान नहीं मिलता भागवत में जिस प्रकार गोपी-गीत, वेणुगीत और भ्रमरगीत के विशिष्ट गीत थे, उसी प्रकार सूरसागर में भी भ्रमरगीतो की रचना हुई थी, किन्तु इनकी रचना मे सूरदास जी का मन इतना रमा कि एक ही प्रसंग पर बहुत अधिक पदो की रचना हो गयी । सख्या ही नहीं, उसमे रसात्मकता और गम्भीरता भी इतनी समाविष्ट हो गयी कि यही सूर-साहित्य का नवनीत बन बैठा ।