बिखरे तिनके | Bikhare Tinke के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : बिखरे तिनके है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Amritlal Nagar | Amritlal Nagar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Amritlal Nagar | इस पुस्तक का कुल साइज 7 MB है | पुस्तक में कुल 114 पृष्ठ हैं |नीचे बिखरे तिनके का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बिखरे तिनके पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Bikhare Tinke | This Book is written by Amritlal Nagar | To Read and Download More Books written by Amritlal Nagar in Hindi, Please Click : Amritlal Nagar | The size of this book is 7 MB | This Book has 114 Pages | The Download link of the book "Bikhare Tinke" is given above, you can downlaod Bikhare Tinke from the above link for free | Bikhare Tinke is posted under following categories literature |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
संतोपी प्रसाद तो अब पैसेयाला हो गया है, बिशननारायण रोड पर कोठी बनवा रहा है। दुकानों का किराया आप वसूलते हैं। सब मिलाकर दोसवा दो हजार किराये की आमदनी है। चार लड़कियों के ब्याह किए इसलिए बैंक बैलेंस बहुत नहीं बन पाया। पत्नी भी विरासत में एक गांव लेकर आई थीं, उसे ज़मींदारी अवॉलिशन से डेढ़ बरस पहले बेच कर लाख रुपये जमा किए थे, उसका व्याज भी आता हैं । बाद के लिए बिकने वाली शहर भर की मैला गाड़ियों को कमाई में गुरसरन वाद और चीफ सेनेटरी इन्स्पेक्टर तो बड़ी तोंद वाले बने ही मेहतर महाबीर चौधरी भी लखपती बन गया ।