धरती की करवट | Dharti Ki Karwat के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : धरती की करवट है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shrichand Agnihotri | Shrichand Agnihotri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shrichand Agnihotri | इस पुस्तक का कुल साइज 5.8 MB है | पुस्तक में कुल 361 पृष्ठ हैं |नीचे धरती की करवट का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | धरती की करवट पुस्तक की श्रेणियां हैं : manovigyan, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Dharti Ki Karwat | This Book is written by Shrichand Agnihotri | To Read and Download More Books written by Shrichand Agnihotri in Hindi, Please Click : Shrichand Agnihotri | The size of this book is 5.8 MB | This Book has 361 Pages | The Download link of the book "Dharti Ki Karwat" is given above, you can downlaod Dharti Ki Karwat from the above link for free | Dharti Ki Karwat is posted under following categories manovigyan, Stories, Novels & Plays |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
सुभद्रा देवी के मायके में सिर्फ उनके पिता थे, कोई भाई न था, सगा ने चचेरा। उनके कोई फूफी भी न थी। इसलिए सारी जायदाद का वारिस सुभद्रा देवी के बेटे को होना था। उनके पिता अपनी सारी जायदाद का वली सुभद्रा देवी को यना गये थे जिसकी देखभाल उन्हें बेटा होने और उसके बालिग हो जाने तक करनी थी। बेटे के बालिग होने पर वह अपने नाना की जायदाद का वारिस बनेगा । दलवीर सिंह इम जायदाद में भी हिस्सा चाहते थे।