भारत का संविधान : राजेंद्र प्रसाद | Bharat Ka Samvidhan : Rajendra Prasad के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारत का संविधान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajendra Prasad | Rajendra Prasad की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Rajendra Prasad | इस पुस्तक का कुल साइज 36.9 MB है | पुस्तक में कुल 460 पृष्ठ हैं |नीचे भारत का संविधान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारत का संविधान पुस्तक की श्रेणियां हैं : india
Name of the Book is : Bharat Ka Samvidhan | This Book is written by Rajendra Prasad | To Read and Download More Books written by Rajendra Prasad in Hindi, Please Click : Rajendra Prasad | The size of this book is 36.9 MB | This Book has 460 Pages | The Download link of the book "Bharat Ka Samvidhan" is given above, you can downlaod Bharat Ka Samvidhan from the above link for free | Bharat Ka Samvidhan is posted under following categories india |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
उक्त खंड के उपखंड (छ) की कोई बात उक्त खंड द्वारा दिय गय अधिकार के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई वर्तमान विधि लगाती हो वहां तक उस के प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा वैसे निबन् न लगाने वाली कोई विधि बनाने में राज्य के लिये रुकावट न डालेगी ; तथा विशयत: '[उक्त उपखंड की कोई बात --
(१) कोई वृति, उपजीविका, व्यापार या कारबार करने के लिये आवश्यक वृतिक या शिल्पिक अर्हताओं से, या
(२) राज्य के द्वारा ग्रथवा राज्य के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन वाल निगम द्वारा कोई व्यापार, कारबार, उद्योग या मेवा नागरिकों का पूर्णतः या ग्रांशिक अपवर्जन करक या ग्रन्याया चलाने से,
जहां तक कोई वर्तमान विधि संबंध रखती है वहां तक उस के प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा सम्बन्ध रखने वाली किसी विधि को बनाने में राज्य के लिए रुकावट, न डालेगी ]
२०. (१) कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिये सिद्ध-दोष नहीं ठहराया जायेगा, जब तक कि उसने अपराधारोपित क्रिया करने के समय किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण न किया हो, और न वह उससे अधिक दंड का पात्र होगा जो उस अपराध के करने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन दिया जा सकता था।
(२) कोई व्यक्ति एक ही अपराध के लिये एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित न किया जायेगा ।
(३) किसी अपराध में अभियुक्त कोई व्यक्ति स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिये बाध्य न किया जायेगा ।
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ham chants hai
जय भीम जय प्रबुद्ध भारत
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Thank you sir
Us insaan ki soch kitni chhoti thi
Jisne bs jati dekhkr garib amir ka frk kia…bkwas samvidhan h india ka….
Sb kuch to copy mara hua h…dusre desho se…
THANK U SIR, I LOVE MY INDIA