काल तुझसे होड़ है मेरी : शमशेर बहदुर सिंह | Kaal Tujhse Hod Hai Meri : Shamsher Bahadur Singh के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : काल तुझसे होड़ है मेरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shamsher Bahadur Singh | Shamsher Bahadur Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shamsher Bahadur Singh | इस पुस्तक का कुल साइज 3.2 MB है | पुस्तक में कुल 103 पृष्ठ हैं |नीचे काल तुझसे होड़ है मेरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | काल तुझसे होड़ है मेरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Kaal Tujhse Hod Hai Meri | This Book is written by Shamsher Bahadur Singh | To Read and Download More Books written by Shamsher Bahadur Singh in Hindi, Please Click : Shamsher Bahadur Singh | The size of this book is 3.2 MB | This Book has 103 Pages | The Download link of the book "Kaal Tujhse Hod Hai Meri" is given above, you can downlaod Kaal Tujhse Hod Hai Meri from the above link for free | Kaal Tujhse Hod Hai Meri is posted under following categories Poetry |
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मेरी कविताओं से नया नहीं हैं, उन्हें अपनी पसन्द या रुचि की काफी कविताएँ इस संग्रह में मिल जाएँगी। उम्मीद तो हैं कि अधिकांश कविताएँ–अधिकांश नहीं तो कुछ तो पारूर सुधी पाठको को काफ़ी पसन्द आएँगी ।
मैं सदा ही अपने मानसिक परिवेश को चित्रित करता रहा हूँ। परिवेश के साथसाथ उसके माहौल को भी अपने पास इतने पास अपने' खीचता रहा हूं कि मेरा अन्दरूनी व्यक्तित्व, अन्दरूनी कवि और चित्रकार, अपने अफ्स को उसमें उतरने से बाज़ नहीं रख सके ।
जैसा कि इस सप्तक' के वक्तव्य में कह चुका हैं—“सा कलाएँ एक दूसरे में समोयी हुई है, हर कलाकृति दुसरी कलाकृति के अन्दर से झांकती है।" जो कलाप्रेमी दोनो कलारूपों के मुहावरे से परिचित है, वो मुझसे सहमत होगे। संगीत और काम का स्पष्ट अन्त सम्बन्ध तबले और हारमोनियम की संगति में देखा जा सकता है। कबीर, मीरा, तुलसीदास और सुर के पद भी गवाह हैं। जिनके शीर्षक के तौर पर हुर गीत के ऊपर किसी-न-किमी राग-रागिनी का उल्लेख मिलता है। निर्दिष्ट राग-रागिनी के स्वरों में तुलकर अगर पद गाया जायेगा, तो अयं और भाव-मर्म सहज ही ग्रहण हो सकेगा। | अगर इसी अनुभव को एक-दूसरे स्तर पर ले लें तो भाधुनिक मुक्तछन्द में, जो छन्दों के गणों के नहीं, गध की लय की शरण जाता है, बल्कि सीधे-सीधे गद्य की स्वाभाविक बोलचाल की गति को आधार बनाकर अलता है''यानी गद्य की पक्ति को या वाक्प को प्रेषित करता है, कि स्वाभाविक रूप में गया के छोटे-बड़े टुकड़े, तुकों का सहारा न होने पर भी धुंधले तौर से एक लय में बँध जाते है, जिसे गद्य की लय कडू सकते है । ग़ालिब का शेर है :
*फ़रियाद की कोई लय नहीं हैं।
नाला पाबन्दे - नै नहीं है।" कोई बाँसुरी बजा रहा है,—वजा नहीं रहा है, अपने दुखते हुए जख्म को सहला रहा है । 'नाला' यानी अाहु-कराह, रोना-धोना । 'ने'–बाँसुरीं । बाँसुरी कभी अन्तर की आहु-कराह को बाँध नहीं सकती, क्योंकि 'नाला' बाँसुरी बजाने की कला के अधीन नहीं है, इससे आज़ाद है।
इसी आजादी की खोज मेरी कविता है।
मेरी कविता के निर्माण में आसपास की साधारण-सी बस्तु भी या कोई ऐसा व्यक्ति जो एकाएक मेरी कविता के पथ में बड़ा हो जाता है, मैं उसको, भी अपने 8 / काल, तुझसे होड़ है मेरी
boss i download and test 10 or 12 times but its only cover of books there is nothing..i think its supposed to be joke…if any solution please please guide me to get it. coz i love to read Hindi love story
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