गीता की कला | Geeta Ki Kala के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : गीता की कला है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dinanath Bhargava | Dinanath Bhargava की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dinanath Bhargava | इस पुस्तक का कुल साइज 11.3 MB है | पुस्तक में कुल 341 पृष्ठ हैं |नीचे गीता की कला का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | गीता की कला पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Geeta Ki Kala | This Book is written by Dinanath Bhargava | To Read and Download More Books written by Dinanath Bhargava in Hindi, Please Click : Dinanath Bhargava | The size of this book is 11.3 MB | This Book has 341 Pages | The Download link of the book "Geeta Ki Kala" is given above, you can downlaod Geeta Ki Kala from the above link for free | Geeta Ki Kala is posted under following categories dharm |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
गीता की कला स्वयं में पूर्ण है। उसे किसी ज्ञान, विज्ञान, योग या सहयोग की न उपेक्षा है। न अपेक्षा कला जीवन की परिपूर्णता है और परमात्मा की सम्पूर्णता परमात्मा कलाकार है, अत: सर्व है, | सर्वज्ञ है। कला को पूर्णयोग, भागवत- योग या कृष्णयोग भी कह सकते है। लौकिक अर्थों में कला ही विज्ञान