हिमालय का योगी हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड | Himalaya Ka Yogi Hindi Book Free Download

हिमालय का योगी हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड | Himalaya Ka Yogi Hindi Book Free Download

हिमालय का योगी हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड | Himalaya Ka Yogi Hindi Book Free Download

हिमालय का योगी हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड | Himalaya Ka Yogi Hindi Book Free Download के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dayanand saraswati | Dayanand saraswati की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 25.81 MB है | पुस्तक में कुल 428 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography

Name of the Book is : | This Book is written by Dayanand saraswati | To Read and Download More Books written by Dayanand saraswati in Hindi, Please Click : | The size of this book is 25.81 MB | This Book has 428 Pages | The Download link of the book "" is given above, you can downlaod from the above link for free | is posted under following categories Biography |

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पुस्तक का साइज : 25.81 MB
कुल पृष्ठ : 428

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् ईडवर-वन्दना सा नह्यन ब्राह्मणों न्रह्मवर्चसी जायतामा राष्ट्र राजन्प दार इवंव्योचतिव्याघी महारथों जायतां दोग्श्री घेवुर्वोडानड्वानाशुः सप्ति युरन्थियोंवा जिष्ण रथेष्ठा सभेयो युवास्य यजमानस्थ वीरो जायतां निकासे सिकामें न पर्जन्यो बर्षघु फलबवत्यों न झ्रोयघय पच्यन्तां योगकेनों नः कल्पता न ॥ यजु० रर डर प्रथम ईइवर को नमइकार करके स्वशक्तिसानू दयासय भगवान्‌ की सेवा हर प्रकार की विच्या के दाता सबसे बड़े परमेदवर श्राप कि हसारें राज्य में ब्रह्मविद्या से प्रकाश को प्राप्त वेद और ईदवर को भ्रच्छा जानने वाले आ्ात्मदर्थी ब्राह्मण उत्पन्न होते रहें श्रत्त जो दूर अति दूर तक सार करने वाले हों उनके चलाने में उत्तम युणवान्‌ शत्रुओं को श्रतीव ताइना देने का स्वभाव रखने वाले महारथी स्त्यन्त बली और वीर निभय राजन सासक वाणी ट्रारा उपदधियों का दनन करने वाले नीविभनिषण विद्वान दध से पुर्ग करते वाली गौ भार ले जाने में समथ वड़े बलवान बेल सीघ्र चलने हारे घोड़े जो बहुत व्यवहारों को घारण करती हैं बनाने वा स्थिरता से चलाने वाले विज्षेपज्न वा थात्रद्ों को जीतने वाले सभा में उत्तम सभ्य जवान पुरुप जो यह धिद्वानों का सत्कार करता है वा सुखों की संगति करता है वा सुखों को देता हैं ऐसे राजा के राज्य में विद्वेय न्त ों दहटानिवालि पुरुष उत्पन्न हों हम लोगों के निव्चययुक्त काम में ब्र्थात्‌ जिस-जिस काम के लिए प्रयटन करें उस-उस काम में सेघ व आौपधियां बढ़त उत्तम फलवाली रे लिए पके हमारा श्रप्राप्त वस्तु की प्राप्ति लखाने वाले योग की रक्षा अर्थात्‌ हमारे निर्वाह के योग्य पदार्थों की प्राप्ति समथ हो वसा विधान करो झर्थात वेसे व्यवहार को प्रकट कराइए

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