हिंदी वालो सावधान : रविशंकर शुक्ल हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Hindi Walo Saavdhan : Ravishankar Shukl Hindi Book Free PDF Download

हिंदी वालो सावधान : रविशंकर शुक्ल हिंदी पुस्तक | Hindi Walo Saavdhan : Ravishankar Shukl Hindi Book

हिंदी वालो सावधान : रविशंकर शुक्ल हिंदी पुस्तक | Hindi Walo Saavdhan : Ravishankar Shukl Hindi Book

हिंदी वालो सावधान : रविशंकर शुक्ल हिंदी पुस्तक | Hindi Walo Saavdhan : Ravishankar Shukl Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : हिंदी वालो सावधान है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ravishankar Shukl | Ravishankar Shukl की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 122 MB है | पुस्तक में कुल 408 पृष्ठ हैं |नीचे हिंदी वालो सावधान का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हिंदी वालो सावधान पुस्तक की श्रेणियां हैं : education

Name of the Book is : Hindi Walo Saavdhan | This Book is written by Ravishankar Shukl | To Read and Download More Books written by Ravishankar Shukl in Hindi, Please Click : | The size of this book is 122 MB | This Book has 408 Pages | The Download link of the book "Hindi Walo Saavdhan" is given above, you can downlaod Hindi Walo Saavdhan from the above link for free | Hindi Walo Saavdhan is posted under following categories education |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 122 MB
कुल पृष्ठ : 408

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प्रस्तुत पुस्तक के शीर्षक को प्रेरणा मुझे श्री संपूर्णानन्द जी की पुक ‘ब्राह्मण, सावधान' से मिली । पुस्तक का विषय, जैसा कि इसके शीर्षक से प्रकट है, हिन्दी प्रेमियों को हिन्दी पर आये हुए और आने वाले रङ्गतरे ने सावधान करना है। इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी? मेरा अपना ख्याल है कि हिन्दी-प्रेमी हिन्दी पर आने वाले खतरे से या तो पूर्णतया परिचित नहीं है या उन्होंने उसके भयंकर परिणाम की भली भाँति कल्पना नहीं की है । हिन्दी-प्रेमी हिन्दी की संकटपूर्ण स्थिति का कुछ कुछ अनुभव तो करते हैं, परन्तु के कुछ तन्द्रा वश, कुछ माह चश और कुछ देश ३ अाजकल के राजनीतिक वातावरण के कारण इस स्थिति के विभिन्न पहलुओं पर गहराई के साथ विचार करने में असमर्थ हैं। हिन्दी के संकट को पूर्णतयः न पहचान सकने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह संकट दुई राजनीतिक नेताओं को अोर से आया है जिन्हें हम काफी समय से अत्यन्त श्रद्धा और आदर की दृष्टि से देखते आये हैं ।

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