जपसूत्रम भाग -३ | Japa Sutram Part -3

जपसूत्रम भाग -३ | Japa Sutram Part -3

जपसूत्रम भाग -३ | Japa Sutram Part -3 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जपसूत्रम भाग -३ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Pratyagatmanand Sraswati | Swami Pratyagatmanand Sraswati की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 118.2 MB है | पुस्तक में कुल 332 पृष्ठ हैं |नीचे जपसूत्रम भाग -३ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जपसूत्रम भाग -३ पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational

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पुस्तक का साइज : 118.2 MB
कुल पृष्ठ : 332

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जपसूत्रम्, तृतीय खण्ड का भाषानुवाद प्रस्तुत करते हुए इस खण्ड में आलोचित प्रसंगों को अंकित करना उचित प्रतीत होता है। इस खण्ड में स्वामीजी ने तारचक्र समाचरण, प्यायन रहस्य, न्यास भुतशुद्धि रहस्य संकेत, द्विदल बन्दना प्रभृति के साथ-साथ अनुसंधिस्तु जन साधकों के हितार्थं विनियोग, महामाया, माया, सृष्टिमूल शुद्धिसाम्यादि, शुद्धि प्रकृति प्रत्ययादि, विकृति ग्रन्थि, हृल्लेखा, वृत्ति, शून्य, पूर्ण, विन्दु, द्वन्द्व, भूमत्व, प्रमाणादि, उदासीनत्व, वस्तु धर्मादि, आदित्य-अग्नि-सोम, सर्वमोंकार, आनन्द, पादमात्रा आदि, अर्धमात्रादि, लीला, योगमाया, जड़त्व, योग्यत्व, व्यवहार, प्राणस्य प्राण, रसतम, स्थितिक्रम, भानज्ञानादि, सामान्य विशेषादि, अणुत्व धारात्व, परायण अनाहत, हंसादि, रेतस्-वृष-अग्नि-सोम, मित्रावरुण, सूर्य प्रभृति तत्वों का सूत्ररूप से वर्णन करते हुये कारिकाओं के माध्यम से उनका विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया है।

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