झूठा सच (देश का भविष्य) हिंदी उपन्यास | Jhootha Sach (Desh Ka Bhavishya) Hindi Upanyas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 10.96 MB है | पुस्तक में कुल 611 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
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देश का भविष्य छह हिन्दू तागे वाला गालों देकर उबल वढ़ा- सब नही जीने देगा हिखुमों को । पंडित जी इयोडी में खाट ढाने घुटनों को कोनी मे वाघे प्रहीक्षा में बंद थे । परिवार को आगगा देखकर थै उदनकर उड़े हो गये-- आओ देदा आओ कतु कन्नी कची मेरी वच्चियाँ गला स्नेह के आदेश में सम गया । आयों में आँसू आरा गये । उन्हों ते नानों को नैयर की गोद से छीन कर हृदय मे चिपका लिया 1 नानों अपरिचित गोद के विरोय में एक वार चोसी फ़िर नाना को पहचाने कर चिपट गो । आवाज़ सुनकर लडकियों को मा भी दौडी हुई ड्पोड़ी में आगयपी 1 वह लड़कियों को आर्शिगन में से-लैकर फूट-फूट कर रोती जा रही थी । पड़ित जो सब को गले लगा कर आलिगन में लेकर मिले । समधिन को आदरपूर्वक भोतर से गये । पड़ित जो बहुत प्रसन्न पे-- ्यंक हिम झुक्र उसका सब लोप फिर मिल गये । नाओ एव्ीविंग इज आल राइट कोई चिता नहीं 1 मैयर कार कनक और कंचन के पिताजी को स्वस्थ देख कर खिल उठ थे परन्तु पंडित जो और मा के सूगे पत्ते की तरह पीने पड पये चेटरों सूस कर दो विहाई रह गपे शरीरों और म्रकान की सज्या को देख कर फिर मीन रहे गये । आपस में एक दूसरे से आें चुरायें थे । पढित थी राय और सुझाव देकर और बहुत कुछ अपने हायों ये करके विश्वास दिला रहे ये कि कोई कठिनाई या बसी नहीं है। एक कोठरी मे नेयर को माँ के लिये पलग पर दिख्नौना लगवां दिया गया । दूसरे कमरे में फर्श पर दरिया और नैनीताल से आये यद्दे-रजाइया विद्वाकर सफेद चादरें विधा दो । मकान में बिजली के एंखे तही थे । पंडित थी ने बजरंग की पीठ ठोक कर कहा-- मेरे बहादुर दौड़कर हाथ के छू पंछे ले आओ 1 तीसरे पहर तक सब लोग नह्ठाना-साना समाप्त कर फर्े पर लगा दी गयी मसतद पर लेट गरे । गरमी और उमस के कड्रण सब के हाथों में पणियाँ थी । पंडित जो सब से घिरे हुप पे पर चित्त लेदे अपने शरीर पर स्वयं पसा हिलावे हुये सुख और सदोप के उद्गार में दोते था रहे थे-- हदार-हडार शुक्र हे उस का 1 भैक हिम 1 सब लोग आगये 1 जंबी-वर्पी घूप में शारण के लिये आराम की अपनी जगह है। थोफ खसकत पर कहा गुदर रही है बच्चे राह-रात भर बरसात में भीग कर निमोनिये से मर रहे हूँ। लोग फमीलों की