जिनसहस्त्रनाम | Jin Sahastranam के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जिनसहस्त्रनाम है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Heeralal Jain | Dr. Heeralal Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr. Heeralal Jain | इस पुस्तक का कुल साइज 20 MB है | पुस्तक में कुल 296 पृष्ठ हैं |नीचे जिनसहस्त्रनाम का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जिनसहस्त्रनाम पुस्तक की श्रेणियां हैं : Granth
Name of the Book is : Jin Sahastranam | This Book is written by Dr. Heeralal Jain | To Read and Download More Books written by Dr. Heeralal Jain in Hindi, Please Click : Dr. Heeralal Jain | The size of this book is 20 MB | This Book has 296 Pages | The Download link of the book "Jin Sahastranam" is given above, you can downlaod Jin Sahastranam from the above link for free | Jin Sahastranam is posted under following categories Granth |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
आठवें और नवें शतक के नामों को देखते हुए यह कहना पड़ेगा कि आशाधरजी के सहस्त्रनाम यही सबसे बड़ी विशेषता है। यधपि पतरकेसरी, अकलंक आदि पूर्ववती आचार्यों ने भी ब्रह्मा, विष्णु आदि नामों जिनेंद्र देव का रत्न किया है, पर उनके प्राय: सर्व नामों का इस प्रकार संग्रह करके रतवन करने का महान