कल भी सूरज नहीं चढेगा – सुरजीत सिंह हिंदी पीडीऍफ़ | Kal Bhi Suraj Nahi Chadhega – Surjit Singh Hindi PDF Download

कल भी सूरज नहीं चढेगा – सुरजीत सिंह हिंदी पीडीऍफ़ | Kal Bhi Suraj Nahi Chadhega – Surjit Singh Hindi PDF Download

कल भी सूरज नहीं चढेगा – सुरजीत सिंह हिंदी पीडीऍफ़ | Kal Bhi Suraj Nahi Chadhega – Surjit Singh Hindi PDF Download के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कल भी सूरज नहीं चढेगा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Surjit Singh | Surjit Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 6.38 MB है | पुस्तक में कुल 128 पृष्ठ हैं |नीचे कल भी सूरज नहीं चढेगा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कल भी सूरज नहीं चढेगा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Uncategorized

Name of the Book is : Kal Bhi Suraj Nahi Chadhega | This Book is written by Surjit Singh | To Read and Download More Books written by Surjit Singh in Hindi, Please Click : | The size of this book is 6.38 MB | This Book has 128 Pages | The Download link of the book "Kal Bhi Suraj Nahi Chadhega" is given above, you can downlaod Kal Bhi Suraj Nahi Chadhega from the above link for free | Kal Bhi Suraj Nahi Chadhega is posted under following categories Knowledge, Uncategorized |

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पुस्तक का साइज : 6.38 MB
कुल पृष्ठ : 128

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राम बाग अमृतसर । नया मिलिटरी हेडक्वार्टर । बहुत बड़ा कैंप । केंप में केवल में और जनरल डायर । शाम चार बजे का समय । डायर कुछ सोच रहा है । और मैं ... मैं भी सोच रहा हूँ । डायर थका हुआ है । सुबह से उसने एक पल भी आराम नहीं किया है । और मैं ... मैं भी थक चुका हूँ । जहाँ-जहाँ डायर गया है वहाँ-वहाँ मैं भी उसके साथ ही था साये की तरह । नहीं साये से भी बढ़कर । साया भी कभी-कभी साथ छोड़ जाता है परंतु मैं तो एक क्षण के लिए भी उससे अलग नहीं हुआ । डायर को विश्वास है कि वह केंप में अकेला है । उसे तनिक भी अहसास हो कि कैंप में कोई और भी है तो वह इस तरह की हरकतें नहीं करता । वह अपनी हरकतें करता जा रहा है । उसकी घबराहट उसकी बेचैनी स्पष्ट दिखाई पड़ रही है । मैं उसके सामने बैठा सभी कुछ देख रहा हूँ । देख-देखकर हैरान हो रहा हूँ । न जाने डायर को आज क्या हो गया है! दाई ओर वर्ष 1919 का कैलेंडर टंगा हुआ है । यकायक डायर कैलेंडर की ओर देखता है । फिर उठकर कैलेंडर के पास जाता है और जेब में से लाल पेंसिल निकालकर 13 अप्रैल पर निशान लगाता है । कुछ ही घंटों पहले ढोल पीटा जा रहा था और यह सूचना दी जा रहो थी -- सूचित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति किसी प्राइवेट कार किराए के वाहन में या पैदल बिना आज्ञा के शहर छोड़कर नहीं जा सकता । आज्ञा-पत्र इन अधिकारियों से लिया जा सकता है - (अधिकारियों के नाम...) अमृतसर शहर में रहने वाले किसी व्यक्ति को आठ बजे रात के बाद घर से बाहर जाने की आज्ञा नहीं । रात आठ बजे के बाद जो भी व्यक्ति गली में नजर आया उसे गोली से उड़ा दिया जाएगा ।

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