कला का विवेचन | Kala Ka Vivechan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कला का विवेचन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Mohanlal | Pt. Mohanlal की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pt. Mohanlal | इस पुस्तक का कुल साइज 2.5 MB है | पुस्तक में कुल 188 पृष्ठ हैं |नीचे कला का विवेचन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कला का विवेचन पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Kala Ka Vivechan | This Book is written by Pt. Mohanlal | To Read and Download More Books written by Pt. Mohanlal in Hindi, Please Click : Pt. Mohanlal | The size of this book is 2.5 MB | This Book has 188 Pages | The Download link of the book "Kala Ka Vivechan " is given above, you can downlaod Kala Ka Vivechan from the above link for free | Kala Ka Vivechan is posted under following categories literature |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
उत्पत्ति और विकास- मनुष्य चेतना सम्पन्न प्राणी है। वह अपने धतुर्दिक की सृष्टि का । अनुभव प्राप्त करता है। वह उसे देखता-सुनता है और और उसकी छाप उस पर पड़ती है, वासता-रूप से उसमे भिन्न-भिन्न वस्तुओं के छायाचित्र अंकित होते रहते है और तदनुफुल ही उसके संस्कार बनते रहते।