खंडित पूजा : मधुरिमा सिंह | Khandit Pooja : Madhurima Singh

खंडित पूजा : मधुरिमा सिंह | Khandit Pooja : Madhurima Singh

खंडित पूजा : मधुरिमा सिंह | Khandit Pooja : Madhurima Singh के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : खंडित पूजा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Madhurima Singh | Madhurima Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3 MB है | पुस्तक में कुल 119 पृष्ठ हैं |नीचे खंडित पूजा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | खंडित पूजा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry

Name of the Book is : Khandit Pooja | This Book is written by Madhurima Singh | To Read and Download More Books written by Madhurima Singh in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3 MB | This Book has 119 Pages | The Download link of the book "Khandit Pooja" is given above, you can downlaod Khandit Pooja from the above link for free | Khandit Pooja is posted under following categories Poetry |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 3 MB
कुल पृष्ठ : 119

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श्रीमती मधुरिमा सिंह का जीवन विरोधों का जीवन रहा है: अभिजात किंतु अभिजातवाद से मुक्त जनसेवा, प्रबल शरीर किंतु परवर्ती रुग्णता, वैदिक-औपनिषदिक परिवेश किन्तु प्रगति के अनुरूप आक्रोश, सहज उल्लास से ऊभचूभ व्यक्तित्व किंतु उच्चाधिकारी पति के अनुरूप औपचारिकता निर्वाह तो कुछ एक बिन्दु मात्र है । जब मैंने उनकी गंभीर किन्तु अक्लिष्ट, रहस्यगर्भित किंतु इहलोकजीवंत, परम्परा अविच्छिन्न किंतु प्रगति -अवरोधी कविताएं देख तो विस्मय-विजड़ित रह गया : वे यथार्थवादी युग की महादेवी लगीं । उनके इस प्रथम प्रकाशित कवितासंग्रह ''खण्डित पूजा' की ५१ कविताएं नयी शैली की हैं, किंतु उनमें शाश्वत मानव को खंडित नहीं किया गया, अस्मिता एवं आस्था में किसी को नकारा नहीं गया, जीवन की समग्रता से वह खिलवाड़ नहीं किया गया जो सम्प्रति कविता का फैशन बन गया है । 'आत्मकथ्य' कविता कवयित्री का घोषणा-पत्र है, तो 'मेरा शुद्धिपत्र' बहुत स्पष्ट न होते हुए भी एक आत्मप्रयोग । 'खण्डित पूजा' कविता शीर्षक कविता होने के साथ न्याय करती है क्योंकि उसमें उनके व्यक्तित्व का पूर्ण बोध हो जाता
आज जब मैंने तुम्हारी आरती का थाल सजाया तभी अनायास मेरी आँख का आँसू पूजा की रोली में जा गिरा... मेरी श्रद्धा तेरा श्रृंगार आँसुओं से करने को

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