खुशहाल बच्चे | Khushhal Bachche

खुशहाल बच्चे : शोभा भागवत| Khushhal Bachche : Shobha Bhagwat

खुशहाल बच्चे : शोभा भागवत| Khushhal Bachche : Shobha Bhagwat के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : खुशहाल बच्चे है | इस पुस्तक के लेखक हैं : shobha bhagwat | shobha bhagwat की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 500 KB है | पुस्तक में कुल 22 पृष्ठ हैं |नीचे खुशहाल बच्चे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | खुशहाल बच्चे पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, inspirational

Name of the Book is : Khushhal Bachche | This Book is written by shobha bhagwat | To Read and Download More Books written by shobha bhagwat in Hindi, Please Click : | The size of this book is 500 KB | This Book has 22 Pages | The Download link of the book "Khushhal Bachche" is given above, you can downlaod Khushhal Bachche from the above link for free | Khushhal Bachche is posted under following categories children, inspirational |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 500 KB
कुल पृष्ठ : 22

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पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

लेफ्ट! रॉइट! लेफ्ट! बालभवन में आने के बाद बच्चे 1520 मिनट व्यायाम करते हैं। शुरू में वे साधारण पी.टी. वाली कवायदें करते थे। पर। बाद में उसमें योगासन भी जुड़ गया। अब तो । जूडो, कराटे, जिम्नास्टिक और अन्य खेल भी व्यायाम में शामिल हो गए हैं। कसरत करते समय बच्चों को आनंद का अनुभव होता है। हमारा शरीर क्या-क्या कर सकता है और कितनी अलग-अलग तरह से मुड़ सकता है, यह बात समझ में आती हैं। बच्चे किसी बात को आंख मूंद कर स्वीकार न करें, इस बात का बालभवन में ध्यान रखा जाता हैं। सच्ची शिक्षा तभी होगी जब बच्चे उसमें अपना कुछ नया जोड़ेंगे, कुछ नया खोजेंगे। व्यायाम जैसी नीरस गतिविधि में भी हमें इसकी झलक मिलती है। बच्चों ने व्यायाम के अनेकों नए तरीके ढूंढ निकाले । व्यायाम के समय एक बालक ने मुझ से हंसते हुए कहा, "चलिए ताई, हम एक मज़ेदार कसरत करते हैं।'' मैंने पूछा, "कैसे?'' तब उसने कहा ''हमारा व्यायाम ऐसा हो जिसे देखकर औरों को हंसी
आए।'' उसके बताए अनुसार हमने हंसाने वाले व्यायाम किए। यह उस बच्चे के सोच पर आधारित था। व्यायाम के समय हम अक्सर जोर जोर से एक, दो, तीन ...की गिनती गिनते हैं और अपने हाथों और पैरों को सैनिकों की तरह आगे-पीछे मारते हैं। यह व्यायाम का कितना उबाऊ
और हिंसक तरीका हैं। क्या इसमें बच्चों को मज़ा आएगा? इस नीरस सैनिक कार्यवाही से बच्चे ऊबेंगे ही। एक ताई ने सुझाव दिया “हम क्यों न सा, रे, गा म .... की लय पर व्यायाम करें?''
संगीत के मधुर सुर कानों को अच्छे लगेंगे। संगीत, लेफ्ट- रॉइट जैसे कानों पर चोट तो
नहीं करेगा ! संगीत के सुरों को आप गुस्से में तो बोल नहीं पाएंगे। अच्छी बात तो यह है कि उन्हें दोनों -

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2 Comments
  1. अनूपा says

    मुझे अरविन्द गुप्ता जी की लिखी
    बच्चों की खेल क्रियाएं किताब कृपया भेजिए | साईट से डाउनलोड नहीं हो रहा है |

    1. admin says

      क्षमा चाहते हैं अनूपा जी. पुस्तकों के लिंक काम नहीं कर रहे थे किन्तु अब लिंक अपडेट कर दिए गए हैं डाउनलोड करने में अब को दिक्कत नहीं आएगी

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