कुमार संभव सार | Kumar Sambhav Saar

कुमार संभव सार | Kumar Sambhav Saar

कुमार संभव सार | Kumar Sambhav Saar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कुमार संभव सार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Mahavir Prasad Dwivedi | Mahavir Prasad Dwivedi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 02.0 MB है | पुस्तक में कुल 64 पृष्ठ हैं |नीचे कुमार संभव सार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कुमार संभव सार पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Kumar Sambhav Saar | This Book is written by Mahavir Prasad Dwivedi | To Read and Download More Books written by Mahavir Prasad Dwivedi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 02.0 MB | This Book has 64 Pages | The Download link of the book "Kumar Sambhav Saar" is given above, you can downlaod Kumar Sambhav Saar from the above link for free | Kumar Sambhav Saar is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 02.0 MB
कुल पृष्ठ : 64

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

कालिदास के कार्यों में कुमारसम्भव का भी बड़ा अदर है । इसमें सव १७ सर्ग हैं, परन्तु पहले सात ही सर्गों के पठनपाठन का अधिक प्रचार है अष्टम सग में कवि ने शर और पार्वती के शृङ्गारिक धन की पराकाष्ठा कर दी है, यहाँ तक कि किसी किसी की समझ में अनेक स्थल अश्लीलता-दूषित हा गते हैं शायद इसी कारण से सप्तम सर्ग तक ही इस काव्य के अनुशीलन की परीपाटी पड़ गई है। कोई कोई यह भी कहते हैं कि आठही सग कालिदास के बनाये हुए हैं, शेष नै सर्ग किसी ने उसके नाम से बनाकर पोछे से जोड़ दिये हैं।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.