कुशीनगर का इतिहास | Kushinagar Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कुशीनगर का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhikshu Dharmrakshit | Bhikshu Dharmrakshit की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhikshu Dharmrakshit | इस पुस्तक का कुल साइज 15.82 MB है | पुस्तक में कुल 207 पृष्ठ हैं |नीचे कुशीनगर का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कुशीनगर का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, history
Name of the Book is : Kushinagar Ka Itihas | This Book is written by Bhikshu Dharmrakshit | To Read and Download More Books written by Bhikshu Dharmrakshit in Hindi, Please Click : Bhikshu Dharmrakshit | The size of this book is 15.82 MB | This Book has 207 Pages | The Download link of the book "Kushinagar Ka Itihas" is given above, you can downlaod Kushinagar Ka Itihas from the above link for free | Kushinagar Ka Itihas is posted under following categories Knowledge, history |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
भारत के प्राचीन सोलह महाजनपदों में मल्लजनपद अपना एक विशेष स्थान रखता था। उसकी प्रधान राजधानी यही कुशीनगर था। आनन्द स्थविर के पूर्वोक्त कथनानुसार यह जान पड़ता है कि कुशीनगर भारत के तत्कालीन महानगरों में अपेक्षाकृत छोटा था, किन्तु गणतन्त्र राज्यों में इसका अपना एक विशिष्ट स्थान था । यही कारण था कि इस प्रदेश को भी कभीकभी कुशीनारा के ही नाम से जाना जाता था। जैन ग्रन्थों के अनुसार वज्जि जनपद पर भी कुशीनगर के मल्लों का अधिकार था ।