महाकवि हरिऔध | Mahakavi Hariaudh के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : महाकवि हरिऔध है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Girijadatt Shukla ‘Girish’ Basu | Shri Girijadatt Shukla ‘Girish’ Basu की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Girijadatt Shukla ‘Girish’ Basu | इस पुस्तक का कुल साइज 15 MB है | पुस्तक में कुल 388 पृष्ठ हैं |नीचे महाकवि हरिऔध का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | महाकवि हरिऔध पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Mahakavi Hariaudh | This Book is written by Shri Girijadatt Shukla ‘Girish’ Basu | To Read and Download More Books written by Shri Girijadatt Shukla ‘Girish’ Basu in Hindi, Please Click : Shri Girijadatt Shukla ‘Girish’ Basu | The size of this book is 15 MB | This Book has 388 Pages | The Download link of the book "Mahakavi Hariaudh" is given above, you can downlaod Mahakavi Hariaudh from the above link for free | Mahakavi Hariaudh is posted under following categories literature |
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जहां ज्योति भरना जीवन का व्रत था तुमने माना अन्धकार भर गये वहीं क्यों विलग भाव क्यों ठाना श्रीनिवास करते थे जिसको उसकी श्री सब हर कर चले गये क्यों हे निरमोही घर का दीया घर कर करते थे अपराध सदा हम क्षमा सदा पाते थे । दया:निवान जान कर तुम को कभी न घबराते थे ।