देखा परखा | Dekha Parkha

देखा परखा | Dekha Parkha

देखा परखा | Dekha Parkha के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : देखा परखा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Jagdish Chandra Jain | Dr. Jagdish Chandra Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 10.8 MB है | पुस्तक में कुल 136 पृष्ठ हैं |नीचे देखा परखा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | देखा परखा पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Dekha Parkha | This Book is written by Dr. Jagdish Chandra Jain | To Read and Download More Books written by Dr. Jagdish Chandra Jain in Hindi, Please Click : | The size of this book is 10.8 MB | This Book has 136 Pages | The Download link of the book "Dekha Parkha" is given above, you can downlaod Dekha Parkha from the above link for free | Dekha Parkha is posted under following categories literature |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 10.8 MB
कुल पृष्ठ : 136

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गुजरात पुरातत्वमदिर मे मुनि जिनविजय जी को कम करते हुए आठ वर्ष हो गये थे। इभर रूस की क्राति और उसके बाद रूस में होनेवाले परिवर्त्तनो ने मुनि जी को काफी प्रभावित किया था । जैन पुरातत्व के पडित जैकोबी और शूबिंग आदि जर्मन विद्वानों के सारगर्भित खोजपूर्ण ग्रथो का भी उन्होने अध्ययन किया था, इससे जर्मनभा सीखने की उनकी उत्कठा बढ़ गई थी । उन्होने सोचा, विदेशो में भारत के संबंध में प्रचार करने का यह अच्छा अवसर है, इसलिये गांधी जी और डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद आदि के परिचय-पत्र लेकर सन् १९२८ मे वे जर्मनी के लिये रवाना हो गये ।

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