मानव जीवन का लक्ष्य : हनुमान प्रसाद पोद्दार | Manav Jeevan Ka Lakshya : Hanuman Prasad Poddar

मानव जीवन का लक्ष्य : हनुमान प्रसाद पोद्दार  | Manav Jeevan Ka Lakshya : Hanuman Prasad Poddar

मानव जीवन का लक्ष्य : हनुमान प्रसाद पोद्दार | Manav Jeevan Ka Lakshya : Hanuman Prasad Poddar के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मानव जीवन का लक्ष्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Hanuman Prasad Poddar | Hanuman Prasad Poddar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 17.0 MB है | पुस्तक में कुल 531 पृष्ठ हैं |नीचे मानव जीवन का लक्ष्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मानव जीवन का लक्ष्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, gita-press, inspirational

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पुस्तक का साइज : 17.0 MB
कुल पृष्ठ : 531

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बुद्धिमान् पुरुपको चाहिये कि वह चाहे अकाम अर्थात् एकान्तभक्त हो, सर्वकाम अर्यात् इहामुन्ने कर्मफलकी कामना करनेवाला हो, अयबा मोक्ष चाहनेवाला हो, उसे तीव्र भक्तियोगके द्वारा परमपुरुप श्रीकृष्णकी आराधना करनी चाहिये ।।
मनुष्यको चित्त स्वभाबत. सकाम और स्वार्थके लिये व्याकुल होता है । जबतक देह, इन्द्रिय, मन और बुद्धिकी यह लार्थ-कामना वर्तमान है, तबतक चित्त भगवत्साधनाके द्वारा अपनी सुख-वासमाकी पूर्ति के लिये व्याकुल न होगा । साधना या उपासनाका प्रधानतम पवित्र उद्देश्य है----भगवद्भाव द्वारा हृदयको नित्य-निरन्तर पूर्ण किये रखना। परंतु नन्धर धन-जन, यश-मान, विपय वैभव तथा भोग-विलासकी लालसामें यदि हृदय व्याकुल रहता है तो इससे साधनाके उद्देश्यकी सिद्धि नहीं होती। दयामय भगवान् जिसके प्रति अनुग्रह करते हैं, उसके हृदयसे विपय-भोगकी वासना और लालसाको तिरोहित कर देते हैं और अपने चरणमें अनुराग प्रदानकर विषयवासनाको दूर कर देते हैं।

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