मन्त्र-महोदधि : शुकदेव चतुर्वेदी | Mantra Mahodadhi : Shukdev Chaturvedi

मन्त्र-महोदधि : शुकदेव चतुर्वेदी | Mantra Mahodadhi : Shukdev Chaturvedi

मन्त्र-महोदधि : शुकदेव चतुर्वेदी  | Mantra Mahodadhi : Shukdev Chaturvedi

मन्त्र-महोदधि : शुकदेव चतुर्वेदी | Mantra Mahodadhi : Shukdev Chaturvedi के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मन्त्र-महोदधि है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shukdev Chaturvedi | Shukdev Chaturvedi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 99MB है | पुस्तक में कुल 883 पृष्ठ हैं |नीचे मन्त्र-महोदधि का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मन्त्र-महोदधि पुस्तक की श्रेणियां हैं : jyotish, hindu

Name of the Book is : Mantra Mahodadhi | This Book is written by Shukdev Chaturvedi | To Read and Download More Books written by Shukdev Chaturvedi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 99MB | This Book has 883 Pages | The Download link of the book "Mantra Mahodadhi" is given above, you can downlaod Mantra Mahodadhi from the above link for free | Mantra Mahodadhi is posted under following categories jyotish, hindu |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 99MB
कुल पृष्ठ : 883

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लक्षं जपे बिल्वपत्रैजुहुयातायातः ।। पूर्वोदिते यजेपीठे षडङ्गत्रिदशायुधैः ॥ १३ ॥ रात्री सम्पूज्यदेवशीमयुतं पुरतो जपेत् । शपीलवानग्येण भूमी दनथिसाभिनेः ॥ १४ ॥ दे निवेश स्वई सास्वने वदति ध्रुवम् ।।
यक्षिप्याचा इतिशोच्य मातङ्गी गद्यतेथुना ॥६५॥ प्रयोग विचिः इस अप का १ लाख जप करना शहए तथा देवा से दशीश-होम करना चाहिए । पृक्त पीठ पर पहङ्ग, विकास एवं आयुधों के साथ देवी का पूजन करना चाहिए। | ( इस प्रकार पुरण द्वारा मापद हो जाने पर ) रात्रि में देवी का पूजन कर उनके सम्मुख १० हजार र करना चाहिए। हमें का पालन करते हुए भूमि में कुमामा र गुर विधाकर सोशः अहिए। इस प्रकार ४ को अपने दस की बात बताकर सोने से यह प्रण में उसका सिर १ र देती है। इन प्रकार म ५ को बतलाक अब माल के सारे में कहते हैं।
तारोमामाचवाग्लश्मीन्निद्रास्मृतिलान्तिमाः ।। सनेत्रीहरिराष्टिाण्डानेजपुताश्मिा ।। ६६ ।। श्रीमातंगेश्वरिषद सर्वशालीनतान्ताम् ।।
करिवद्रिप्रियामन्त्रो द्वात्रिंशद्वर्णवामयम् ॥६० ॥ मातंगी : र (३) शा (ही) श (४) मी ( ) द ( नमः ।। (५) स्मृति (ग) सम (५) नेत्रर ( 8 ) फर रिचाहा' फिर मैत्रत किया | नि । कर भी मातत्वरि स' (१) किर। ‘न' र भात (३) फिर 'क' और अन्त में शिया (स्मा।। अाने से ३० अर का मा बनता है।
टिप्पणी : विनियोग । अस्य श्री मातङ्गी गरम मतङ्ग ऋषिः अनुपू दः। माती देवा, मामास असे विश्वगः ।। पन्यास : 2 ही एँ भी हुदाय ममः । श्री मातङ्गेश्वरकरार है।
यो अर्थात 'शरसे स्वा।। आर्मशमशंकर श्याम । उ पाण्डवासि १ वषर् । महा असाग फ। धनश्यामलाङ्गी स्थिती रत्नपीठे शुकस्यादितं शृण्वती' रक्ताम् ।
भक्तपूजोत्पीठे वक्ष्यामिषानतः ॥ ७१।। अप संवा एवं : इस शर का १० हजार र कणा आहए, ता मधू सहित मरु (ग ) के मुख्य से १ हजार आहुति देनी चाहिए। ( शा) मूक्त पीठ पर भाग रीति से देवी का पूजन करना चाहिए ।
त्रिकोप्टदलद्वन्द्व कलातुरस्रकम् ।

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23 Comments

  1. Sreeman ji aap ka sangrah bahoot mahatabporna hai ..iske liye aap ko bahut bahut dhanybad… mahoday agar sambhab ho to sabar mantro ki kitabe be publice kare aap ki bahut kripa hogi…

  2. मंत्र महोदधि को डाउनलोड करने का तरीका बताने की कृपा करें

  3. ast kast no suta bhandu jam ki bhen jamani bhandu veer khaish vetal ? ye mantra adhura ha. muze ye mantra poora janna ha.

  4. नम्बर ऑफ कबाला भी हिंदी में अपलोड कीजिये

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