मुख़्तसर सही बुखारी | Mukhtasar Sahi Bukhari

मुख़्तसर सही बुखारी – तीनों भाग : एजाज़ खान | Mukhtasar Sahi Bukhari – Complete : Aijaaz Khan

मुख़्तसर सही बुखारी – तीनों भाग : एजाज़ खान | Mukhtasar Sahi Bukhari – Complete : Aijaaz Khan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मुख़्तसर सही बुखारी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Aizaz Khan | Aizaz Khan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 47 MB है | पुस्तक में कुल 1900 पृष्ठ हैं |नीचे मुख़्तसर सही बुखारी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मुख़्तसर सही बुखारी पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, islam

Name of the Book is : Mukhtasar Sahi Bukhari | This Book is written by Aizaz Khan | To Read and Download More Books written by Aizaz Khan in Hindi, Please Click : | The size of this book is 47 MB | This Book has 1900 Pages | The Download link of the book "Mukhtasar Sahi Bukhari" is given above, you can downlaod Mukhtasar Sahi Bukhari from the above link for free | Mukhtasar Sahi Bukhari is posted under following categories dharm, islam |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 47 MB
कुल पृष्ठ : 1900

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मुकद्दमतुल-किताब
हर किस्म की तारीफ अल्लाह तआला ही के लिए है, जो तमाम मलूकात को बेहतरीन अन्दाज और मुनासिब शक्ल च सूरत के साथ पैदा फरमाया है। वो ऐसा दाता, मेहरबान और रोजी देने वाला है कि किसी हकदार के हक के बगैर भी मखलूक को अपनी नेमत से मालामाल किये हुए है और जब तक सुबह व शाम का यह सिलसिला जारी है, उस वक्त तक अल्लाह तआला की रहमत और सलामती उसके रसूल बरहक पर हों जो अछे अप्लाक की तकमील के लिए भेजे गये थे, जिन्हें अल्लाह तआला ने तमाम मख्लूकात पर भरतरी और फजीलत अता फरमाई। इसी तरह उसकी आत च औलाद पर भी अल्लाह की
हमत हो जो अल्लाह की राह में बडी फय्याजी से खर्च करते हैं और उनके सहावा-ए-किराम पर भी जो इताअत गुजार और वफादार हैं।
| हम्दो सलात के बाद मालूम होना चाहिए कि इमामुल मुद्दिसीन अबू अब्दुल्लाह, मुहम्मद बिन इस्माईल बिन इब्राहीम बुखारी रह. की अजीमुश्शान जामे सही इस्लामी किताबों में सबसे ज्यादा मोतबर और बेशुमार फायदों की हामिल है। लेकिन इसमें अहादीस तकरार के साथ मुख़्तलिफ अथवाब में अलग-अलग तौर पर बयान हुई है। अगर कोई शख्स अपनी चाहत की हदीस ढूंढना चाहे तो बहुत इन्तहाई तलाश व जुस्तजू और सख्त मेहनत के बाद ही उसे मालूम कर सकता है। बेशक इस किस्म के तकरार से इमाम बुखारी का मकसद यह था कि मुख्तलिफ असानीद के साथ अहादीस बयान की जाये। ताकि इन्हें दर्जा शोहरत हासिल हो जाये। लेकिन इस मजमूअ-ए-अहादीस से हमारा मकसद भसे हदीस से जानकारी हासिल करना है। बाकी रही उनकी सेहत 4 सिकाहत तो उसके मुताल्लिक सब जानते हैं कि इस मजमूऐ की तमाम अहादीस सही और काविले ऐतबार है। इमाम नववी शरह मुस्लिम के मुफद्दमे में लिखते हैं।
हजरत इमाम बुखारी , एक हदीस को मुख्तलिफ सनदों के साथ अतग अलग अथवाब में जिक्र करते हैं। बाज औकात इस हदीस का ताल्लुक रखने वाले चाव से बहुत दूर का ताल्लुक होता है। घुनांचे अकसर औकात इसके मुताल्लिक यह स्याल तक नहीं गुजरता कि इसका यहा जिक्र करना मुनासिब होगा। इसलिए एक पढ़ने वाले के लिए इस मुतालब-ए-हदीस को तलाश करना
और इसकी तमाम असानीद को मालूम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। आपने मजीद फरमाया "मुतापियरीन में से कुछ इफ्फाज (हाफिज) इस गलतफहमी में

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2 Comments
  1. muzammil hussain rizvii says

    Mashaallah

    1. Mohammad Shakir says

      Beshaq

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