भविष्य पुराण | Bhavishya Puran

भविष्य पुराण : अज्ञात | Bhavishya Puran : Unknown |

भविष्य पुराण : अज्ञात | Bhavishya Puran : Unknown | के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भविष्य पुराण है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 27 MB है | पुस्तक में कुल 448 पृष्ठ हैं |नीचे भविष्य पुराण का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भविष्य पुराण पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

Name of the Book is : Bhavishya Puran | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 27 MB | This Book has 448 Pages | The Download link of the book "Bhavishya Puran" is given above, you can downlaod Bhavishya Puran from the above link for free | Bhavishya Puran is posted under following categories dharm, hindu |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 27 MB
कुल पृष्ठ : 448

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पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्
(आदित्यहृदयसारामृत) पयन टनिक विशाल रत्नभं तोत्रमनाईदयम् । रिक्षवकारणं च पुनातु पो तसवितुर्वरेण्यम् ॥ पय देवगणैः सुपु विप्रः स्तुते नवयुक्तिकोविदम्। देवदेवं प्रजापमि सूर्य पुनातु मी सवितुर्वरेण्यम् ॥ अपने अपने समय लोक्यनून्यं निगुणामयम्। समस्ततेगमर्यादिव्यरूप पुग्नु म सवितुवीयम् ॥ ययन गूढपरिप्रोचे घर्गय बुद्धिं कुरुले जनानाम्। यसर्वपापक्षयकारण व पुनातु मां तसवितुषीण्यम् ॥ यस म्याभिश्नाटनं अदम्य सामसु सन्यगौतम्। प्रकाशितं येन च भूर्भुवः सः पुनातु मां सावितुर्वरेण्यम् ॥ यस वेदते दिन गायन वचारास्ट्रिसंघाः । यद्योगिनो योगश च संघाः पुनातु मी तसवितुपरण्यम् ।। यसले सर्वजनेषु पूनि ज्योति कुछ मर्त्यलोके। यत्कालकालादिमनादिरूप पुनातु मा तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥ समय वितुर्मानं यदक्षरे पापहरं जनान्तम् । यत्कालकल्पवयकारणं च पुनातु मी तरतुपरक्यम् ।। अचम्कने विमलां प्रसिद्धमुत्पलरक्षाप्रलयप्रगल्भम् । पस्मिशगत् संहरतेऽखितं च पुनातु समषितुवीण्यम् ॥ यसले सर्वत्रनय विगोराया पर धाम विशुद्धतत्त्वम् । सूक्ष्मान्तरैगिपशानुगम्यं पुत् मा समावीण्यम् ॥ पसले केटदोपगीत यद्योगिनां योगपश्चानुगम्यम् । तत्सर्ववेद प्रणमामि सूर्य पुनातु पो तयारण्यम् ।। | 1शन भगवान् सूर्य का प्रखर तेजोमय मण्डल विशाल, रोक समान प्रभसित, अनादिकाल स्वरूप, समस्त |लोंका दुःख-दारिद्रय-संहारक है, वह मुझे पवित्र करे। जिन भगवान् सूर्यका करेण्य मण्डल देखसमूहों। अर्थित,
वद्वान् ब्राहाणोंद्वारा संस्तुत तथा मानबको मुक्ति देनेमें प्रवीण है, वह मुझे पवित्र को, मैं उसे प्रणाम करता हैं। जिन | भगवान् सूर्यका मण्डल खण्ड-अविच्छेद्य, ज्ञानस्वरूप, तीनों लोकोंद्वारा पून्य, सत्व, रज, तम-इन तीनों गुण। |युक्त, समस्त तेजों तथा प्रकाश-पुञ्जसे युक्त है, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान् सूर्यका श्रेष्ठ मण्डल गूरा होने के ||रण अपना ठिसे शानगम्य है तथा भक्तोक हुदयमें धार्मिक बुद्धि उत्पन्न करता है, जिससे समस्त पापका सय हो आता है, यह मुन्ने पवित्र करे। जिन भगवान् सूर्यका मण्डल समस्त अधि-व्याधियों का उन्मूलन करने आया कुशल है, जो , यजुः तथा साम–इन तीनों वेदोंके द्वारा सदा संस्तुत है और जिसके द्वारा भूलोक, अत्तरित तथा मार्गलोक अदा प्रकाशित रहता है, वह मुझे पवित्र करे। जिन भगवान सूर्यके श्रेष्ठ मण्डलको वेदवेत्ता विद्वान् । | ठीक-ठीक जानते तथा प्राप्त करते हैं, चारणगण तथा सिद्धोंस समूह जिसका गान करते है, योग-साधना करनेवाले योगिजन जिसे प्राप्त करते हैं, वह मुझे पवित्र करे। जिन भगवान् सूर्यका मण्डल सभी प्राणियोंद्वारा पूजित है तथा जो इस मनुष्यलोक प्रकाशका विस्तार करता है और जो कालका भी काल एवं अनादिकाल-रुप है, यह मुन्ने पक्ष |को। जिन भावान् सूर्यके मण्डलमें ब्रह्मा एवं विष्णुको आआ है, जिनके नामोशरणसे भतोकि पाप नष्ट हो जाते।
, जे अण, कला, कप्ता, संवारसे लेकर कल्पपर्यन्त कालका कारण तथा सृष्टिके प्रसयका भी कारण है, वह मुझे। प को। जिन भगवान् सूर्यका मण्डल प्रजापतियोंकी भी उत्पन, पालन और संहार करनेमें सक्षम एवं प्रसिद्ध है।
जिसमें यह सम्पूर्ण जगत् संहत होका लीन हो जाता है. वह मुन्ने पवित्र से।अन भगवान सूर्यका मण्डल सम्पूर्ण | वर्गम तथा विमुकी भी आम है, जो सबसे ऊपर श्रेष्ठ लोक है, शुद्धतिशुद्ध सारभूततत्त्व है और सूक्ष्म-से-सूक्ष्म |घनके द्वारा रेणियोंके देवयानद्वारा प्राप्य है, वह मुझे पवित्र करे। जिन भगवान् सूर्यका मष्ठत वेदयादियद्वारा सदा
संस्तुत और योगियोंको योग-साधनासे प्राप्त होता है, मैं तो काल और तीनों लोकोकि समस्त तल्लोके ज्ञात न भगवान् सूर्यको प्रयास करता है वह मण्डल मुझे पकिय करे।

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8 Comments
  1. manish says

    Georgious

  2. Amar Prakash Tripathi says

    First Time, I am browsing this site.
    Its a great effort have it this way.
    Appreciate your effort, will submit books to your site in future.

  3. NAVJEET KUMAR says

    Kya aap bhavishya puraan by S.N Khandelwal (in 3 parts) uplabdh kara sakte hai.
    Ek anya book
    ◆bhavishya puran by baburam upadhyay part 2 bhi
    Dhanya waad
    Navjeet kumar
    [email protected]

    1. Jatin says

      Navjeet Ji Hum jad Se Jald In Pustako Ko uplabdh Krane ki Koshish Karenge.

  4. Sudarshan says

    Wonderful

  5. Dharmendra Kumar Yadav says

    Sir,
    Kiya aap bhavishya puran ke teeno khando ka download link mujhe email kar sakte hai?????
    Mera email id hai [email protected]
    Thankyawad.

    1. admin says

      ji book ka link update kar diya hai. ek bar aur koshish kare avashya download hoga

  6. Rajendra kumar bazaz says

    Excellent work done for Hinduism

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