नारदसंहिता ज्योतिष ग्रन्थ हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | NaradSamhita Jyotish Grantha Hindi Book Free PDF Download

नारदसंहिता ज्योतिष ग्रन्थ : श्री कृष्णदास | NaradSamhita Jyotish Grantha : Shri krishnadas

नारदसंहिता ज्योतिष ग्रन्थ : श्री कृष्णदास | NaradSamhita Jyotish Grantha : Shri krishnadas

नारदसंहिता ज्योतिष ग्रन्थ : श्री कृष्णदास | NaradSamhita Jyotish Grantha : Shri krishnadas के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : नारदसंहिता ज्योतिष ग्रन्थ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri krishnadas | Shri krishnadas की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 32.7 MB है | पुस्तक में कुल 309 पृष्ठ हैं |नीचे नारदसंहिता ज्योतिष ग्रन्थ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | नारदसंहिता ज्योतिष ग्रन्थ पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu, jyotish

Name of the Book is : NaradSamhita Jyotish Grantha | This Book is written by Shri krishnadas | To Read and Download More Books written by Shri krishnadas in Hindi, Please Click : | The size of this book is 32.7 MB | This Book has 309 Pages | The Download link of the book "NaradSamhita Jyotish Grantha" is given above, you can downlaod NaradSamhita Jyotish Grantha from the above link for free | NaradSamhita Jyotish Grantha is posted under following categories dharm, hindu, jyotish |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , ,
पुस्तक का साइज : 32.7 MB
कुल पृष्ठ : 309

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

ज्येष्ठ बर और जेठी सैतानकी कन्या इन दोनोंका तथा ज्येष्ठमासमें उत्पन्न हुए वरकन्याओं का विवाह ज्येष्ठमासमें नहीं करना चाहिये ॥ ८॥
उत्पातग्रहणादूर्ध्व सप्ताहमखिलग्रहे ॥ नाखिले त्रिदिनं चझै तदा नेष्टमृतुत्रयम् ॥ ९॥
वज्रपात आदि उत्पात तथा सर्व ग्रहणके अनंतर सात दिन तक | विवाहादि मंगलकार्य करना शुभ नहीं है। सर्व ग्रहण नहीं हो तो तीन दिन पीछेतक और ऋतुकालके उत्पातमें भी तीन दिन पीछेवक शुभ कार्य नहीं करना ॥ ९ ॥
प्रस्तास्ते त्रिदिनं पूर्व पश्चात् ग्रस्तोये तथा ॥ | संध्याकाळे चित्रदिने नि:शेषे सप्तसप्त च ॥ १० ॥
अस्वास्त अणसे पाहिले तीन दिन और वस्ताद्य ग्रहणसे पीछे तीन दिन और संध्याकालमें उत्पात होय तो तीन २ दिन बाकी | सर्व दिनमें सात २ दिन वजित जानो ॥ १० ॥
मासांते पंचदिवसांत्यजेद्रिक्तां तथाष्टमीम् ॥ पड़ीं च परिचाह्यर्द्ध व्यतीपातं संवैधृतिम् ॥ ११ ।।। मासांतमें पांच दिन, रिक्ता तिथि, अष्टमी षष्ठी परिघ योग के आदिका आधा भाग वैधृति, पतीपात संपूर्ण, इनको विवाहदिक संपूर्ण कार्यों में वर्ज देवे ॥ ११ ॥
पौष्णभत्र्युत्तरामैत्रमरुचंद्रार्कपैतृभम्॥ समूलभं विधर्भ च स्त्रीकरग्रह इष्यते ॥ १२ ॥

Share this page:

4 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *