पहिये की घुरी | Pahiye Ki Ghuri

पहिये की घुरी | Pahiye Ki Ghuri

पहिये की घुरी | Pahiye Ki Ghuri

पहिये की घुरी | Pahiye Ki Ghuri के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : पहिये की घुरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Kedarnath Mishra | Kedarnath Mishra की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 04.0 MB है | पुस्तक में कुल 148 पृष्ठ हैं |नीचे पहिये की घुरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पहिये की घुरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Pahiye Ki Ghuri | This Book is written by Kedarnath Mishra | To Read and Download More Books written by Kedarnath Mishra in Hindi, Please Click : | The size of this book is 04.0 MB | This Book has 148 Pages | The Download link of the book "Pahiye Ki Ghuri" is given above, you can downlaod Pahiye Ki Ghuri from the above link for free | Pahiye Ki Ghuri is posted under following categories Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 04.0 MB
कुल पृष्ठ : 148

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किसी भी देश के साहित्य का विसंगत अथवा अनियमित विकास नहीं होता । वह भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के संगम का स्वाभाविक एवं अनिवार्य परिणाम है, और कल्पना, स्थापत्य, संविधान, शिल्प, रूप-रंग आदि-आदि दिशाओं में परिलक्षित होता है-कहीं चरम तक पहुँचा हुआ, कहीं बहुत कम, कहीं एकदम शुन्य विचार-जगत् के आंदोलन के साथ-साथ साहित्य का भी निर्माण और विकास होता रहता है । इस अांदोलन के रुकने के साथ ही निमाण की क्रिया भी रुक जाती है । स्पष्ट है, साहित्य किसी भी राष्ट्र के मन-मस्तिष्क में उठनेवाले अथवा समबाप्त विचारों के निधन का ही एक नाम है।

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