पूजा तत्व-Pooja Tataw के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : पूजा तत्व है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Gopi Nath kabiraj | Shri Gopi Nath kabiraj की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Gopi Nath kabiraj | इस पुस्तक का कुल साइज 19.8 MB है | पुस्तक में कुल 288 पृष्ठ हैं |नीचे पूजा तत्व का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पूजा तत्व पुस्तक की श्रेणियां हैं : others
Name of the Book is : Pooja Tataw | This Book is written by Shri Gopi Nath kabiraj | To Read and Download More Books written by Shri Gopi Nath kabiraj in Hindi, Please Click : Shri Gopi Nath kabiraj | The size of this book is 19.8 MB | This Book has 288 Pages | The Download link of the book "Pooja Tataw" is given above, you can downlaod Pooja Tataw from the above link for free | Pooja Tataw is posted under following categories others |
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प्रकाशक का निवेदन
पूजा' शब्द से आजकल साधारणतः भिन्न भिन्न प्रतिमाओं की फल, छ्ख, व्याख, वैज्ञपत्ती, चन्दन, धूप, दीर, श्रध्यादिं श्रर्पण करना समभा जाता है। इसके साथ अनेकों स्पोहार, आचार-पद्धति और उत्सव-अनुष्ठान मी आकर मिल गये हैं। पूजा के बाहर के अंग की तरफ़ अब हमारी दृष्टि इतनी आकृष्ट हो गई है कि हम पूजा की प्राण-वस्तु अर्थात् उसकी प्रकृत अध्यात्म साधना प्रायः स्री बैठे हैं और पूजा के स्थलों की थाह्य आडम्बर एर्थ तामसिक उत्सव-अनुष्ठान में पर्यवसित कर दिया है।
किन्त वस्तुत: भारतवर्ष में वैदिक युग से लेकर वर्तमान काल तक पूजा एक जीवन्त अध्यात्म-साधना रही है। इस अध्यात्म-लावना की धारा अनेक समय फल्गु-स्रोत के समान अदृष्ट होने पर भी आज तक अविश्रिन भाव से चली आ रही है और इमारा विश्वास है कि इसी के द्वारा तामसिक भावावरण ने जो इमारी सत्य-दृष्टि को ढक लिया है इसकी दूर करके अपने आपको साधन-अीवन में प्रतिष्ठित करने की इस समय विशेष आवश्यकता है। इस शुभ संकल्प से उद्बुद्ध होकर पूज्य श्रीस्वामीजी ने (जो अपना नाम प्रचार नईीं करना चाहते हैं, इसी से उनका नाम अप्रकाशित रख्ना गया है) अपने बन्धुओं में एक विशेष प्रणाली द्वारा पूजा का प्रचलन किया है ।
इस उद्देश्य से उन्होंने वैदिक काल से लेकर विभिन्न समयों की अध्यात्म-साधना के अनुकूल अनेक श्लोक संग्रह किये हैं और अपने माव को प्रकट करने के लिए कुछ श्लोकों की रचना भी की है। मुख्यत: इन श्खोकों की आवृत्ति इ1 पुजा है। इसके साथ पूजा के विभिन्न स्तरों तथा भावों के अनुकूल कुछ संगीत भी संयोबित किये गये हैं। (संगीत बंगला भाषा में होने के कारण इस पुस्तक में नहीं दिये गये हैं)।