प्राकृत साहित्य का इतिहास | Prakrit Sahitya Ka Itihas

प्राकृत साहित्य का इतिहास | Prakrit Sahitya Ka Itihas

प्राकृत साहित्य का इतिहास | Prakrit Sahitya Ka Itihas

प्राकृत साहित्य का इतिहास | Prakrit Sahitya Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : प्राकृत साहित्य का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Jagdishchandra Jain | Jagdishchandra Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 54.39 MB है | पुस्तक में कुल 882 पृष्ठ हैं |नीचे प्राकृत साहित्य का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्राकृत साहित्य का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : Prakrit Sahitya Ka Itihas | This Book is written by Jagdishchandra Jain | To Read and Download More Books written by Jagdishchandra Jain in Hindi, Please Click : | The size of this book is 54.39 MB | This Book has 882 Pages | The Download link of the book "Prakrit Sahitya Ka Itihas" is given above, you can downlaod Prakrit Sahitya Ka Itihas from the above link for free | Prakrit Sahitya Ka Itihas is posted under following categories history |

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पुस्तक का साइज : 54.39 MB
कुल पृष्ठ : 882

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भारत के अनेक विश्वविद्यालयों में प्राकृत का पठन-पाठन हो रहा है लेकिन उसका जैसा चाहिये वैसा आलोचनात्मक क्रमबद्ध अध्ययन अभी तक नहीं हुआ। कुछ समय पूर्व हर्मन जैकोबी, वैबर, पिशल और शूबिंग आदि विद्वानों ने जैन आगमों का अध्ययन किया था, लेकिन इस साहित्य में प्रायः जैनधर्म संबंधी विषयों की चर्चा ही अधिक थी इसलिये ‘शुष्क और नीरस समझ कर इसकी उपेक्षा ही कर दी गई। जर्मन विद्वान् पिशल ने प्राकृत साहित्य की अनेक पांडुलिपियों का अध्ययन कर प्राकृत भाषाओं का व्याकरण नामक खोजपूर्ण ग्रंथ लिखकर इस क्षेत्र में सराहनीय प्रयत्न किया ।

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