प्राकृत व्याकरण | Prakrit Vyakaranam के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : प्राकृत व्याकरण है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Achary Jinvijay Muni | Achary Jinvijay Muni की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Achary Jinvijay Muni | इस पुस्तक का कुल साइज 25.76 MB है | पुस्तक में कुल 815 पृष्ठ हैं |नीचे प्राकृत व्याकरण का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्राकृत व्याकरण पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge
Name of the Book is : Prakrit Vyakaranam | This Book is written by Achary Jinvijay Muni | To Read and Download More Books written by Achary Jinvijay Muni in Hindi, Please Click : Achary Jinvijay Muni | The size of this book is 25.76 MB | This Book has 815 Pages | The Download link of the book "Prakrit Vyakaranam" is given above, you can downlaod Prakrit Vyakaranam from the above link for free | Prakrit Vyakaranam is posted under following categories Knowledge |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
भारत के विभिन्न स्थानों पर प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष मिल रहे। हैं। उनसे पता चलता है कि वैदिक आर्यों के आगमन से पहले भी यहाँ कोई विकसित सभ्यता विद्यमान थी, इतिहासकार उसका द्रविड, सुमेर आदि सभ्यताओं के साथ सामजस्य करने का प्रयत्न कर रहे हैं। हम उस चर्चा में नहीं जाना चाहते । उन अवशेषो में भाषा एव लिपि की दृष्टि से कुछ संकेत मिले हैं। किन्तु अभी तक भाषा शास्त्र के अध्ययन में उनका प्रवेश नहीं हुआ है। इस दृष्टि से वैदिक साहित्य को सर्व प्रथम स्थान दिया जाता है ।