प्रस्तुत प्रश्न | Prastut Prashna

प्रस्तुत प्रश्न | Prastut Prashna

प्रस्तुत प्रश्न | Prastut Prashna के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : प्रस्तुत प्रश्न है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Jainendra Kumar | Jainendra Kumar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 16.0 MB है | पुस्तक में कुल 270 पृष्ठ हैं |नीचे प्रस्तुत प्रश्न का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्रस्तुत प्रश्न पुस्तक की श्रेणियां हैं : science

Name of the Book is : Prastut Prashna | This Book is written by Jainendra Kumar | To Read and Download More Books written by Jainendra Kumar in Hindi, Please Click : | The size of this book is 16.0 MB | This Book has 270 Pages | The Download link of the book "Prastut Prashna" is given above, you can downlaod Prastut Prashna from the above link for free | Prastut Prashna is posted under following categories science |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 16.0 MB
कुल पृष्ठ : 270

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

यह ता प्रश्न और उनके कारण पुस्तकके विधि-प्रकारकी बात हुई । किन्तु पुस्तककै मुम्य परीधा अर्थान उत्तरदाताके बारे में भी अपना दृष्टिकोण व्यक्त करना शायद भरे गि आवश्यक है। यदि में ठीक समझा हैं तो उनके लिए भी मैं कहूंगा उत्तर उन्हान प्रस्तुत नहीं किये हैं, बल्कि वे प्रस्तुत हुए हैं। यह कहनेका भरा मतलब उस अनायास भावसे है जिससे वह उनसे प्राप्त हुए हैं। लेकिन इससे यह न समझना चाहिए कि जनन्द्रजी काई बड़े पण्डित हैं या बहुत अभ्यास हैं, अथवा अश्वत हैं । एक और अनायासता भी है जो कि पांडित्य और अभ्यासकी बातका बिल्कुल भूलकर संभव बन उठता है ।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.