प्रेम-योग | Prem Yoga के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : प्रेम-योग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Viyogi Hari | Viyogi Hari की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Viyogi Hari | इस पुस्तक का कुल साइज 81.0 MB है | पुस्तक में कुल 425 पृष्ठ हैं |नीचे प्रेम-योग का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्रेम-योग पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Prem Yoga | This Book is written by Viyogi Hari | To Read and Download More Books written by Viyogi Hari in Hindi, Please Click : Viyogi Hari | The size of this book is 81.0 MB | This Book has 425 Pages | The Download link of the book " Prem Yoga " is given above, you can downlaod Prem Yoga from the above link for free | Prem Yoga is posted under following categories Poetry |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
मेरे प्यारे राम! तेरी यह भी एक मरजी थी। तूने मुझे राजी करा ही लिया जैसा जो कुछ बना, तेरी आज्ञा का पालन किया और करूंगा| यंत्र के सरे पुर्जे यंत्री के हाथ में है ही फिर यह कैसे हो सकता। था, कि मैं तेरी राजा में राजी न होता ? पर कृपानिधान! अब कभी ऐसी आज्ञा न देना, अनधिकार कार्य इन हाथों से न कराना भला प्रेम का तत्व में क्या समझें