राजपूताने का इतिहास जिल्द 2 | Rajputane Ka Itihas Jild 2 के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : राजपूताने का इतिहास जिल्द 2 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 06.25 MB है | पुस्तक में कुल 178 पृष्ठ हैं |नीचे राजपूताने का इतिहास जिल्द 2 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | राजपूताने का इतिहास जिल्द 2 पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Rajputane Ka Itihas Jild 2 | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 06.25 MB | This Book has 178 Pages | The Download link of the book "Rajputane Ka Itihas Jild 2" is given above, you can downlaod Rajputane Ka Itihas Jild 2 from the above link for free | Rajputane Ka Itihas Jild 2 is posted under following categories history |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
खज़ाना छीन लिया और उसका राज्य उसके पुत्र' को दिया'' इन फधनों का आशय यही है कि महाराणा क्षेत्रासंह ने ईडर के राव रणमल को कैद किया था। महाराणा दंभीर ने ईडर के राजा जैतकरण (जैत्रकर्ण ) को जीता था, जिसका पुत्र रणमल्ल एक थीर राजपूत था। संभव है, उसने मेवाड़ की अधीन ता में रहना पसंद न कर महाराणा क्षेत्रासिंह से विरोध किया हो, तो भी अन्य प्रमाणा से यह पाया जाता है कि वह ( रणमल्ल ) महाराणा के संदीगृह से मुक्त हाने के अनन्तर पुन' ईडर का स्वामी बन गया था, और गुजरात के सूबेदार ज़फ़रवां ( दूसरे ) से लड़ा था ।